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छात्रों ने सरोजनी नायडू की जयंती को मनाया राष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में


गुडगांव। स्वतंत्रता संग्राम में सरोजनी नायडू की अहम भूमिका रही थी। जिस पर महात्मा गांधी ने उन्हें भारत कोकिला के उपनाम से नवाजा था। वह कवियत्री भी थी। नागरिक अधिकारों, महिलाओं की स्वतंत्रता व साम्राज्य विरोधी विचारधारा की समर्थक रही थी। 1905 में हुए बंगाल विभाजन से क्षुब्ध होकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने का फैसला किया थ। उनकी कविताओं की प्रशंसा महात्मा गांधी सहित रविंद्रनाथ टैगोर जैसे प्रमुख व्यक्तियों ने भी की थी। महिलाओं के लिए उन्होंने सम्मान से जीने का मार्ग प्रशस्त किया था। उनके दिखाए रास्ते को अपनाकर महिला सशक्तिकरण को और अधिक तेजी मिल सकती है।

राम विहार स्थित एक निजी स्कूल में सरोजनी नायडू की जयंती का आयोजन समाजसेवियों द्वारा किया गया, जिसमें कुंदन गुप्ता, शमा खातून, राजेश पटेल आदि ने सरोजनी नायडू के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद नगर में हुआ था। कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने 12 वर्ष की अल्पायु में ही 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। 13 वर्ष की आयु में लेडी ऑफ दी लेक नामक कविता की रचना की। उनसे प्रभावित होकर हैदराबाद के निज़ाम ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेज दिया। सरोजिनी नायडू को पहले लंदन के किंग्स कॉलेज और बाद में कैम्ब्रिज के गिरटन कॉलेज में अध्ययन करने का मौका मिला। इंग्लैंण्ड से वापिस आने के बाद वह स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गई।

गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर वह देश के लिए समर्पित हो गई। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया और जेल भी गई। वह देश के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण कर देशप्रेम का अलख जगाती रही और देशवासियों को उनके कर्तव्यों की याद भी दिलाती रही ताकि वे स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढक़र भाग ले सकें और देश को आजाद कराया जा सके। देश आजाद होने के बाद उन्हें उत्तरप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया। महिला सशक्तिकरण में उनका बड़ा योगदान रहा था। 2 मार्च 1949 को उनका निधन हो गया था। वक्ताओं ने छात्रों से आग्रह किया कि उनके दिखाए रास्ते पर चलकर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना चाहिए। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। श्रद्धांजलि देने वालों में सलोनी, मुस्कान, राखी, लक्की, सोनी, नेहा, सिमरन, मनीषा, पूजा, पूनम, माला, सीता, रुपा, रिया आदि शामिल रही।

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