गुडग़ांव- भारत देश त्यौहारों व पर्वों का देश माना जाता है। ऐसा कोई भी दिन नहीं है, जिसमें कोई न कोई पर्व न होता हो। इन पर्वों को देशवासी बड़े धूमधाम से मनाते आ रहे हैं। श्रावण मास भगवान शिव का सबसे प्रिय माह माना जाता है। भगवान शिव का आराधना कर श्रद्धालु श्रावण माह में मनोवांछित फल पाने की कामना करते हैं। अधिमास पडऩे से 19 साल बाद इस साल श्रावण मास 30 दिन की बजाय 59 दिन का होगा। ऐसे में श्रद्धालुओं को भगवान शिव के पूजन का और अधिकअवसर मिल सकेगा। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि श्रावण मास में 4 की बजाय 8 सोमवार होंगे। व्रत, त्यौहार, पंचांग, ज्योतिषीय गणना व हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह साल 12 माह की बजाय 13 माह
का होगा। इस साल ज्योतिष गणना के अनुसार शनि-गुरु और राहू-केतू जैसे प्रमुख ग्रहों का राशि परिवर्तन भी होगा।
इस वर्ष 2 सूर्य और 2 चंद्र ग्रहण भी पड़ेंगे। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि श्रावण का माह 4 जुलाई से शुरु होकर 31 अगस्त तक रहेगा। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिमास यानि कि मलमास रहेगा। उनका कहना है कि एक चंद्रमास 354 दिन का होता है। जबकि एक सौर मास में 365 दिन होते हैं। इस तरह से इन दिनों में 11 दिनों का अंतर आ जाता है और तीसरे वर्ष 33 दिन का अतिरिक्त एक माह बन जाता है। इस 33 दिन के समायोजन को ही अधिमास कहा जाता है। उनका कहना है कि इस बार अधिमास के दिन का समायोजन सावन मास में होगा। इस प्रकार का संयोग इससे पूर्व वर्ष 2004 में बना था और अब 2042 में यह संयोग बनेगा। उनका कहना है कि अधिक मास में सूर्य की सक्रांति भी नहीं पड़ती। 20 अप्रैल व 14 अक्तूबर को जहां सूर्य ग्रहण पड़ेगा, वहीं 5 मई व 28 अक्तूबर को चंद्र ग्रहण भी होगा।
Comment here