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महिमा एवं उपासना का विस्तृत वर्णन है शिव महापुराण में : साध्वी आत्मचेतना गिरि महाराज


गुडग़ांव। यदि कोई पवित्र वस्तु है तो वह है मानव देह जो अति दुर्लभ है। इस देह से ही तप कर परमात्मा को पाया जा सकता है। देह रहते ही हम सभी समाज के काम आ सकते हैं। उक्त उद्गार श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर साध्वी आत्म चेतना गिरि जी महाराज ने राजीव नगर स्थित गुफा वाला शिव मंदिर में आयोजित श्री शिव महापुराण सप्ताह के प्रथम दिन श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि मनुष्य का शरीर ही शिवलिंग रूप है। जैसे शिवलिंग पर जल से अभिषेक किया जाता है वैसे ही हम अपने मस्तिष्क का सद-विचार के जल से अभिषेक करें। उदर की अग्नि को हल्के-फुल्के सात्विक भोजन से तृप्त करें। उन्होंने बताया कि शिव पुराण एक प्रमुख तथा सुप्रसिद्ध पुराण है, जिसमें परब्रह्म परमेश्वर के शिव स्वरूप का तात्विक विवेचन, रहस्य, महिमा एवं उपासना का विस्तार पूर्वक वर्णन है।

उन्होंने कहा कि भगवान शिव मात्र पौराणिक देवता ही नहीं, अपितु वे पंच देवों में प्रधान अनादि, सिद्ध परमेश्वर हैं। वेदों में इस परम तत्व का गुणगान किया गया है। शिव का अर्थ ही कल्याण स्वरूप और कल्याण प्रदाता है शिव महापुराण एक महान ग्रंथ है इसके पढऩे सुनने से सभी के मंगल कार्य होते हैं। मंदिर कमेटी के मुकेश सतीजा का कहना है कि श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन 15 अगस्त तक प्रतिदिन सायं 3 बजे से 6 बजे तक होगा। 16 अगस्त को महाशिव रूद्र यज्ञ के बाद मंदिर परिसर में ही भंडारे का आयोजन भी होगा।