गुडग़ांव- सिखों के दशम पातशाही श्री गुरु गोबिंद सिंह के दोनों साहबजादों 9 वर्षीय जोरावर सिंह और 7 वर्षीय फतेह सिंह तथा माता गुजरी के बलिदान दिवस को बाल दिवस के रुप में मनाया गया। गुरुद्वारों में जहां शबद कीर्तन का आयोजन कर उनको याद किया गया, वहीं अरदास भी की गई। केंद्र सरकार ने इन वीरों की शहादत को बाल दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की है। समुदाय के लोगों ने उन्हें याद करते हुए कहा कि वर्ष 1705 में मुगलों ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी से बदला लेने के लिए जब सरसा नदी पर हमला किया तो गुरु जी का परिवार उनसे बिछड़ गया था।
साहिबजादों और माता गुजरी अपने रसोईए गंगू के साथ उसके घर मोरिंडा चले गए थे। माता गुजरी के पास सोने की मुहरें देख गंगू के मन में लालच आ गया। उसने माता गुजरी और दोनों साहिबजादों को सरहिंद के नवाब वजीर खां को सौंप दिया था। मुगलों ने उन पर काफी अत्याचार किए और धर्मपरिवर्तन करने के लिए बाध्य करते रहे। जब माता गूजरी को इनके बलिदान की सूचना मिली तो उन्होंने शरीर त्याग दिया था। मासूम साहिबजादों की इस शहादत ने सभी को हिलाकर रख दिया था। इनकी शहादत मुगल शासक के पतन का कारण बनी थी। कार्यक्रम में समुदाय से जुड़े लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए और उन्हें याद किया।
Comment here