गुडग़ांव- नवरात्र के प्रथम दिन कलश की स्थापना उपासकों को पूरे विधि-विधान के अनुसार करनी चाहिए। कलश स्थापना के बाद ही
मां दुर्गा के स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जानी चाहिए। पंडित डा. मनोज शर्मा का कहना है कि स्नान ध्यान करके देवी दुर्गा, भगवान गणेश, नवग्रह, कुबेर आदि की मूर्ति के साथ कलश की स्थापना करनी चाहिए। कलश के ऊपर रोली से ओउम् और स्वस्तिक लिखा जाना चाहिए। आज पूरे दिन कलश की स्थापना की जा सकती है। पंडित जी का कहना है कि कलश स्थापना के समय पूजा गृह में पृथ्वी पर 7 प्रकार के अनाज रखे जाने चाहिए। कलश में गंगाजल, लौंग, ईलायची, पान, सुपारी, रोली, कलावा, चंदन, अक्षत, हल्दी व पुष्प आदि डाले जाने चाहिए। 7 अनाजों सहित रेत के ऊपर कलश की स्थापना की जानी चाहिए।
जौ अथवा कच्चा चावल और कटोरे में भरकर कलश के ऊपर भरकर रखा जाना चाहिए। चुन्नी से लिपटा हुआ नारियल कलश के ऊपर श्रद्धालुओं को रखना चाहिए। उनका कहना है कि शारदीय नवरात्र में देवी तामस स्वरुप में आती हैं जोकि उग्र होता है। इस लिए उनकी आराधना में भूल या अनदेखी से बचना चाहिए। वैसे भी नवरात्र साधना का कालखण्ड हैं और साधना के लिए नियमों व मर्यादाओं का पालन करना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है। पंडित जी का कहना है कि नवरात्रों के दौरान स्वच्छता व पवित्रता का ध्यान रखा जाना चाहिए, कलह आदि नहीं करनी चाहिए, मां दुर्गा को तीव्र ध्वनि पसंद नहीं है। भक्ति भाव से किया गया भजन साधकों की साधना में सहायक होगा।
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