गुडग़ांव: अविभजित बिहार के विकास में स्वतंत्रता सेनानी बिहार केसरी डा. श्रीकृष्ण सिंह के जनकल्याणकारी कार्यों को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढक़र भाग लिया था और कई बार जेल यात्राएं भी की थी। गुडग़ांव में बिहार मूल के लोगों ने उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए कहा कि वह अखंड बिहार प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री भी रहे थे। उनका जन्म 21 अक्तूबर 1887 को बिहार के नवादा जिले में हुआ था।
बिहार के विकास में उनके अतुलनीय, अद्वितीय व अविस्मरणीय योगदान के लिए उन्हें आधुनिक बिहार के निर्माता के रुप में जाना जाता है। उन्होंने गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में सावरमती आश्रम से करीब 340 किलोमीटर की पदयात्रा कर दांडी में अंग्रेजी हुकूमत के नमक कानून को भंग किया था। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उद्योग, कृषि, शिक्षा, सिचाई, स्वास्थ्य, कला व सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए थे। देश की पहली रिफाइनरी बरौनी ऑयल रिफाइनी, पहला खाद कारखाना, सिंधरी व बरौनी, रासायनिक कारखाना, एशिया का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग कारखाना, सबसे बड़ा स्टील प्लांट बोकारो भी उनके ही कार्यकाल में स्थापित हुआ था। सरकार ने उनकी स्मृति में स्मारक, भवन, पार्क, पॉलिटैक्रीक कालेज, पॉवर हाउस, पॉवरग्रिड आदि की स्थापना भी की थी।
वक्ताओं ने कहा कि पटना के गांधी मैदान में राजधानी का सबसे बड़ा सभागार का उनके ही नाम पर कराया गया है। श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र की स्थापना भी की गई है। उनका निधन 31 जनवरी 1961 को हुआ था। वक्ताओं ने बिहार मूल के लोगों से आग्रह किया है कि वे डा. श्रीकृष्ण सिंह के आदर्शों पर चलकर देश व प्रदेश की उन्नति में सहयोग करें।
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