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मामला न्यायाधीश की पत्नी व पुत्र की गोली मारकर हत्या करने का दोषी सुरक्षाकर्मी ने फांसी की सजा को उच्च न्यायालय में दी है चुनौती

गुडग़ांवI करीब 4 वर्ष पूर्व गुडग़ांव के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्णकांत की पत्नी व उनके बेटे को गोली मारकर हत्या करने वाले न्यायाधीश के सुरक्षाकर्मी महिपाल को जिला एवं सत्र न्यायालय ने वर्ष 2020 की 6 फरवरी को मौंत की सजा सुनाई थी। दोषी महिपाल ने निचली अदालत के फैसले को पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। संभवत: उच्च न्यायालय इस सप्ताह उसकी अपील पर सुनवाई करेगा। उसने अपनी अपील में गुहार लगाई है कि उसकी मौंत की सजा रद्द की जाए। उसने अपनी गुहार में कहा है कि अदालत ने तथ्यों को नजरअंदाज कर उसे मौंत की सजा सुनाई है। इसलिए सजा को रद्द किया जाए। उसका कहना है कि उसने न्यायाधीश की पत्नी रितु एवं उनके पुत्र धु्रव पर गोली नहीं चलाई थी। उसका कहना है कि कार में पैटिंग रखने के दौरान धु्रव को खरौंच लग गई थी। जिससे धु्रव ने नाराज होकर उसे गालियां देनी शुरु कर दी थी। धु्रव ने सुरक्षाकर्मी से कार की चाबी भी मांगी थी।

उसने चाबी देने से मना कर दिया था, जिस पर दोनों में हाथापाई भी हुई थी और उसी दौरान धु्रव ने उसका सर्विस रिवॉल्वर छीनने का प्रयास किया था। इसी छीनाझपटी में फायरिंग हो गई थी और यह घटना घटित हो गई थी। दोषी आरोपी महिपाल पर आरोप हैं कि 13 अक्तूबर 2018 को न्यायाधीश की पत्नी रितु एवं उनका पुत्र धु्रव सैक्टर 49 स्थित आर्केडिया शॉपिंग कॉम्पलैक्स में खरीददारी करने के लिए गए थे। कॉम्पलैक्स के बाहर आते ही सुरक्षाकर्मी महिपाल ने उन दोनों के ऊपर गोलियां चला दी थी। उपचार के दौरान दोनों ने दम तोड़ दिया था। दिनदहाड़े हुए इस हत्याकांड में घटना स्थल से मिली सीसीटीवी फुटैज भी इस मामले में कारगर साबित हुई थी। सुरक्षाकर्मी न्यायाधीश की कार लेकर फरार हो गया था। कुछ समय बाद ही पुलिस ने भागदौड़ कर सुरक्षाकर्मी को गिरफ्तार कर लिया था। अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए सुरक्षाकर्मी को दोषी करार देते हुए कहा था कि यह मामला सरासर विश्वास और रिश्तों को तार-तार करने वाला है। सुरक्षाकर्मी की जिम्मेदारी न्यायाधीश के परिजनों की सुरक्षा करनी थी। लेकिन उसने अपने कर्तव्य का पालन न करते हुए उनकी हत्या कर दी थी और महिपाल को फांसी की सजा सुनाई थी।

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