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स्वामी विवेकानंद को जाना जाता है महान चिंतक, समाज सुधारक व राष्ट्रभक्त के रुप में : सीताराम सिंघल

गुडग़ांवI युवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा कार्यक्रम का आयोजन कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। भाजपा जिला किसान मोर्चा के कोषाध्यक्ष सीताराम सिंघल ने बताया कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका महान
योगदान रहा था। उन्होंने अपने विचारों से युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जागरुक करते हुए आग्रह किया था कि भारत माता को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए उन्हें अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देना चाहिए। स्वामी विवेकानंद को महान चिन्तक, समाज-सुधारक, राष्ट्रभक्त के रुप में जाना जाता है। उन्होंने जहां समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए संघर्ष किया, वहीं उन्होंने तत्कालीन अंगे्रजी शासन को भी कभी स्वीकार नहीं किया था।

देशवसियों को उन्होंने हिंदी के प्रति भी जागरूक किया कि उन्हें अपनी मातृभाषा हिंदी का सम्मान करना चाहिए और इसके प्रचार-प्रसार के लिए कार्य भी करने चाहिए। भाजपा नेता ने बताया कि स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीयता को सर्वोच्च मानते थे और देशवासियों से यही चाहते थे कि वे अपने राष्ट्र को सुरक्षित रखने के लिए अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करें। उनकी ओजस्वी वाणी श्रोताओं को सीधे रुप से प्रभावित करती थी। जहां उन्होंने समाज में व्याप्त बाल-विवाह जैसी कुरीतियों का खुलकर विरोध किया, वहीं वह विधवा विवाह के समर्थक भी रहे। उनका मानना था कि भौतिक सुखों को छोडक़र खुद को आध्यात्मिक, देश प्रेम व राष्ट्रीय भावना को देशवासियों को अपनाना चाहिए।

नकारात्मकता का त्याग करने का आग्रह भी उन्होंने देशवासियों से किया था। नकारात्मकता से जहां जीवन में तनाव उत्पन्न होता है, वहीं पारस्परिक संबंध भी बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। उन्होंने विदेशो में भारत का गौरव बढ़ाने के लिए कई धार्मिक यात्राएं की थी, ताकि भारत के विषय में विदेशियों को भी पूरी जानकारी मिल सके। वर्ष 1893 में अमेरिका स्थित शिकागो में आयोजित विश्व धर्मसभा में उन्होंने भारत की ओर से प्रतिनिधित्व किया था और अपने प्रवचनों से विदेशियों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया था। भाजपा नेता का कहना है कि पाश्चात्य सभ्यता के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए बच्चों को सुसंस्कार देने होंगे, ताकि ये बच्चे बड़े होकर देश के कर्णधार बन सकें। स्वामी विवेकानंद की भी यही इच्छा थी। स्वामी विवेकानंद के त्याग, तपस्या व संघर्ष से भी युवा पीढ़ी को सबक लेना चाहिए। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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