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चंद्रशेखर आजाद सरीखे क्रांतिकारियों के बलिदान को नहीं भुला पाएंगे देशवासी : विशाल कटारिया


गुडग़ांव। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध क्रांतिकारी पंडित चंद्रशेखर आजाद की कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता। उनका कहना था कि वह अंग्रेजों के हाथ कभी नहीं आएंगे। वह आजाद हैं और आजाद ही रहेंगे जो उन्होंने कर भी दिखाया। इलाहाबाद के एल्फ्रेड पार्क में जब अंग्रेजों ने उन्हें घेर लिया और दोनों ओर से गोलीबारी शुरु हो गई थी। जब उन्हें लगा कि अंग्रेज उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे तो उन्होंने अपनी रिवॉल्वर से ही स्वयं को गोली मारकर 27 फरवरी 1931 को शहीद कर लिया था। उनके बलिदान दिवस पर उन्हें याद करते हुए वार्ड 21 के भावी पार्षद उम्मीदवार समाजसेवी विशाल कटारिया ने कहा कि उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को पंडित सीताराम तिवारी के यहां हुआ था। उन्होंने बनारस के संस्कृत विद्यापीठ से संस्कृत का अध्ययन भी किया था। उस दौरान असहयोग आंदोलन की लहर चल रही थी। इस आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रुप से भाग लिया। धरना देते हुए अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। उस समय में उनकी आयु बहुत कम थी। वह क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल के संपर्क में आ गए। काकोरी कांड व जलियांवाला बाग नरसंहार ने उन्हें काफी व्यथित कर दिया था।

उन्होंने हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना का गठन भी किया था। भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों से भी उनके संबंध हो गए थे। साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाला लाजपत राय गंभीर रुप से घायल हो गए थे, जिनकी बाद में मृत्यु भी हो गई थी। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और पार्टी के अन्य सदस्यों ने लाला लाजपत राय पर लाठियां चलाने वाले अंग्रेज सांडर्स को सबक सिखाने का निश्चय कर लिया था और उसे गोलियों से छलनी भी कर दिया था। चंद्रशेखर के नेतृत्व में ही केंद्रीय असेंबली में बम विस्फोट किया गया था। जिसमें भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त ने स्वयं को गिरफ्तार करा लिया था। चंद्रशेखर आजाद देशवासियों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट करने में लगे थे। इसी को लेकर वह इलाहाबाद आए हुए थे और 27 फरवरी 1931 को वह एल्फ्रेड पार्क में अपने साथियों के साथ बैठे थे। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने पार्क को घेर लिया था। गोलीबारी में अंग्रेज पुलिस ऑफिसर भी घायल हो गए थे। आजाद ने खुद को गोली मारकर देश के लिए अपना बलिदान दे दिया था।

कटारिया ने देशवासियों से आग्रह किया है कि चंद्रशेखर आजाद सरीखे क्रांतिकारियों के बलिदान को कभी भी भुलाया नहीं जाना चाहिए। उनसे प्रेरणा लेकर देश सेवा में सदैव तत्पर रहना चाहिए, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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