गुडग़ांव- देश को आजादी दिलाने के लिए क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, जिसमें अमर शहीदों, क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर उनको नमन कर रहा है। वक्ताओं ने महान
क्रांतिकारी तिरुपुर कुमारन की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए कहा कि उनका जन्म 4 अक्तूबर 1904 मद्रास प्रेसिडेंसी के चेननिमालाई में हुआ। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी मुख्य भूमिका निभाई थी। उन्होंने देश बंधु युवा संघ की स्थापना कर युवाओं को जागरुक किया और अंग्रेजों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। 11 जनवरी 1932 को तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध एक विरोध मार्च के दौरान तिरुपुर में नौय्याल नदी के तट पर पुलिस हमले से लगी चोटों से उनका निधन हो गया। निधन के समय वह भारतीय राष्ट्रवादियों का ध्वज पकड़ रहे थे, जो कि अंग्रेजों द्वारा प्रतिबंधित कोडी कथथा कुमारन को उकसाया। अक्टूबर 2004 में उनकी 100वीं जयंती पर केंद्र सरकार द्वारा एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया था। तिरुपुर में उनके सम्मान में एक प्रतिमा बनाई गई है जिसे अक्सर सार्वजनिक
प्रदर्शनों के लिए एक केंद्र बिंदु के रूप में उपयोग किया जाता है।
स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी मुख्य भूमिका निभाई क्रांतिकारी तिरुपुर कुमारन ने
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