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क्रांतिकारी चंदन सिंह गढ़वाली को उनकी पुण्यतिथि पर किया याद

गुडग़ांव- भारत के क्रांतिकारियों में से गढ़वाल क्षेत्र के चंदन सिंह गढ़वाली का भी स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान रहा था। चंदन सिंह गढ़वाल रेजिमेंट के प्रमुख रहे। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 1891 में हुआ था। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह प्राथमिक स्तर से अधिक शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके और वह 1914 में गढ़वाली रेजीमेन्ट केन्द्र में भर्ती हो गए। उनमें राष्ट्रीय भावना कूट-कूट कर भरी थी। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने चंदन सिंह की गढवाल रेजिमेंट को सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल देशभक्तों का दमन करने की जिम्मेदारी दी थी।

अहिंसक प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों पर अंगेज अधिकारियों ने चंदन सिंह को गोलियां चलाने का आदेश दिया था, जिसे उन्होंने मानने से इंकार कर दिया था। इस पर उन्हें फौज से निकालकर दंडित किया गया था। उन्हें आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई थी। वक्ताओं ने कहा कि सजा पूरी करने के बाद चंदन सिंह 1941 में रिहा हो गए थे और उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढक़र भाग लिया था। अंग्रेजों ने उन्हें फिर से गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। एक अक्तूबर 1979 को 88 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ था। वक्ताओं ने कहा कि ऐसे देशभक्त के आदर्शों को सभी को अपनाना चाहिए। यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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