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क्रांतिकारी व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदरलाल को उनकी जयंती पर किया याद

गुडग़ांव- इतिहासकार व स्वतंत्रता सेनानी पंडित सुन्दर लाल कायस्थ की जयंती पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उनका जन्म 26 सितम्बर 1885 को मुजफ्फरनगर जिले की गांव खतौली के कायस्थ परिवार में हुआ था बाल्यकाल से ही उनके दिल में भारत को आजादी दिलाने का जज्बा पैदा हो गया था। वह प्रयाग चले गए थे और देश की आजादी की लड़ाई में उन्होंने बढ़-चढक़र भाग लिया था। क्रांतिकारियों की गदर पार्टी में वह शामिल हो गए थे। वक्ताओं ने कहा कि लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष, लोकमान्य तिलक से वह बड़े प्रभावित थे। लाला हरदयाल व शचिंद्रनाथ सान्याल के साथ उन्होंने कई क्रांतिकारी घटनाओं को अंजाम दिया था।

गांधी जी के सत्याग्रह में भाग लेने के कारण वह 8 बार जेल गए। गणेश शंकर विद्यार्थी से भी उन्हें बड़ी प्रेरणा मिली थी। उन्होंने भारत में अंग्रेजी राज शीर्षक से पुस्तक भी लिखी थी। वक्ताओं ने कहा कि उन्होंने 50 से अधिक पुस्तकों की रचना की। आजादी के बाद उन्होंने अपना जीवन सांप्रदायिक सदभाव को समर्पित कर दिया था। वह अखिल भारतीय शांति परिषद के अध्यक्ष एवं भारत चीन मैत्री संघ के संस्थापक भी रहे थे। वक्ताओं ने युवाओं से आग्रह किया कि वे पंडित सुंदरलाल के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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