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गोवा मुक्ति आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानी मोहन रानाडे को किया याद

गुडग़ांवI देश को स्वतंत्र कराने में स्वतंत्रता सेनानी मोहन रानाडे का भी बड़ा योगदान रहा। उन्होंने गोवा मुक्ति आंदोलन में भाग लिया था और 14 साल पुर्तगाली जेल में भी बिताए थे। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए वरिष्ठ श्रमिक नेता कुलदीप जांघू ने कहा कि उनका
जन्म 25 दिसंबर 1930 को महाराष्ट्र में हुआ था। गोवा की मुक्ति के लिए चलाए गए आंदोलन में मोहन रानाडे का बड़ा सहयोग रहा था। मुक्ति आंदोलन के गणेश दामोदर सावरकर और विनायक दामोदर सावरकर जैसे क्रांतिकारी नेताओं से प्रेरित होकर वर्ष 1953 में वह आजाद गोमांतक दल में शामिल हो गए थे। यह उग्रवादी संगठन माना जाता था। उन्होंने गोवा में शिक्षक के रुप में नौकरी भी की थी। वह शिक्षा देने के साथ-साथ युवाओं को भारतीय राष्ट्रवाद की भावना और उनमें औपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलाने के लिए प्रेरित करते
रहते थे।

श्रमिक नेता ने बताया कि रानाडे अपने संगठन के लिए हथियार व विस्फोटक प्राप्त करने के लिए पुलिस और सीमा शुल्क चौकियों पर भी हमला करने से नहीं चूकते थे। तिरंगे झण्डे का अपमान करने वाले गोवा के एक व्यक्ति की इस संगठन ने हत्या भी कर दी थी। पुर्तगाली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर दिसम्बर 1956 में उन पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें पुर्तगाल में 26 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। 1962 में गोवा की मुक्ति के 6 साल से अधिक समय बाद 1969 में उन्हें रिहा कर दिया गया था। गोवा को मुक्त कराने में उनका बड़ा योगदान रहा था। केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया था। 25 जून 2019 को उनका निधन हो गया था।
श्रमिक नेता का कहना है कि युवाओं को रानाडे के जीवन से प्रेरणा लेते हुए देश प्रेम की भावना को बढ़ावा देना चाहिए।

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