गुडग़ांवI रेसलिंग (पहलवानी) को लेकर भारत अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में कई दशकों से छाया हुआ है। देश में कई ख्याति प्राप्त पहलवान हुए हैं, जिन्होंने देश के युवाओं को पहलवानी के गुर सिखाकर और समुचित प्रशिक्षण देकर अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है।
इन्हीं में मास्टर चंदगीराम भी देश के प्रसिद्ध पहलवान रहे हैं। 1960 एवं 1970 के दशकों में उनकी पहलवानी की चर्चा देश ही नहीं, अपितु जोरों पर थी। उन्हें हिन्द केसरी, भारत केसरी जैसी उपाधियों से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित करने के बाद पद्मश्री से भी सम्मानित किया था।
उनकी पुण्यतिथि पर वक्ताओं ने उन्हें याद करते हुए कहा कि चंदगीराम पहलवान का जन्म प्रदेश के जिला हिसार के सिसाई गांव में 9 नवम्बर 1937 को हुआ था। वह भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट में शामिल रहे थे और बाद में स्कूल शिक्षक होने के कारण उनको मास्टर चंदगीराम भी कहा जाने लगा था। वक्ताओं का कहना है कि 20 साल की आयु के बाद कुश्ती में हाथ आजमाने वाले मास्टर जी ने 1961 में राष्ट्रीय चैम्पियन बनने के बाद से देश का ऐसा कोई कुश्ती का खिताब नहीं रहा जो उन्होंने नहीं जीता हो। उन्हें भारत केसरी और रूस्तम-ए-हिंद आदि के खिताब से भी नवाजा गया था। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे मास्टर
चंदगीराम के दिखाए रास्ते पर चलकर रेसलिंग को जीवित रखें और देश में उनका नाम रोशन करें।
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