गुडग़ांवI देशवासी आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहे हैं, जिसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सर्वोच्च बलिदान देने वाले
स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों व क्रांतिकारियों को याद किया जा रहा है। ब्रिटिश विरोधी बंगाली क्रांतिकारी व अंतर्राष्ट्रीय विद्वान तारकनाथ दास की जयंती पर वक्ताओं ने उन्हें याद किया। उन्होंने कहा कि उनका जन्म 15 जून 1884 पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के कंचरापुरा के करीब मजूपारा गांंव में हुआ था, वह मध्यमवर्गीय परिवार से थे। उनके पिता केन्द्रीय टेलीग्राफ ऑफिस में नौकरी करते थे। वह पढ़ाई में बड़े तेज थे। उच्च शिक्षा के लिए वह विदेशों में भी गए थे। उच्च शिक्षा प्राप्त कर वह कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर रहे थे और कई अन्य विश्वविद्यालयों में भ उन्होंने कार्य किया था।
वह ब्रिटिश शासन के घोर विरोधी थे। देशभक्ति उनमें कूट-कूट कर भरी थी। जतिंद्रनाथ मुखर्जी से भी उनके बड़े नजदीकी संबंध रहे थे। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए पश्चिमी देशों में भी लोगों को जागरुक किया था। वह विदेशों में रह रहे भारतीयों व अन्य विदेशियों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित भी करते रहे। स्वतंत्रता संग्राम के प्रति सहानुभूति वातावरण बनाने का उन्होंने विदेशों में बड़ा काम किया था। 22 दिसम्बर 1958 को उनका निधन हो गया था। उन्होंने कहा कि युवाओं को तारकनाथ दास से प्रेरणा लेनी चाहिए, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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