गुडग़ांव। हमारा देश आध्यात्मिक संतों, महात्माओं, गुरुओं और वेदों की सभ्यताओं का पोषक मानने वाली विभूतियों, दार्शनिकों तथा महापुरुषों की जननी रहा है। कहा जा सकता है कि अध्यात्म जीवन की नींव है। कैसी भी परिस्थिति हो, मनुष्य को उसे समझने, समाधान खोजने और उससे बाहर निकलने के लिए एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
उक्त उद्गार कथावाचक आचार्य कुलदीप पाण्डेय ने सैक्टर 9ए स्थित श्रीगौरी शंकर मंदिर परिसर में आयोजित श्री शिव महापुराण के अंतिम दिन बुधवार को प्रवचन करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जहां तक अध्यात्म और धर्म की शिक्षा का संबंध है तो यह दोनों ही अपने को जानने और समझने के लिए जरूरी हैं क्योंकि यह पता होना ही चाहिए कि मैं क्या हूं, मेरा अस्तित्व क्या है और संसार में आने का मेरा अर्थ क्या है ?
उन्होंने कहा कि यदि हम आज की बात करें तो धर्म का अर्थ हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई आदि होकर रह गया है जबकि ये सब केवल जिंदगी जीने का एक तरीका या सिद्धांत हैं। धर्म मन की शांति के लिए है, उससे समाज में खुशहाली की उम्मीद की जा सकती है। धर्म मानवता की सेवा के लिए है, उसका इस्तेमाल सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को सुलझाने के लिए किया जा सकता है। मंदिर कमेटी के प्रवक्ता का कहना है कि आज वीरवार को कथा का समापन हवन-यज्ञ के साथ होगा और प्रतिदिन की तरह विशाल भण्डारे का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में प्रसाद ग्रहण करेंगे।