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प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे राव तुलाराम

गुडग़ांव- देश के स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न प्रदेशों के वीर योद्धाओं का बड़ा योगदान रहा है। दक्षिण हरियाणा से भी देश के स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणावासियों ने अपना अहम योगदान दिया था। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक राजा राव तुलाराम सिंह थे। उन्हे हरियाणा राज्य में राज नायक माना जाता है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम इलाके से सम्पूर्ण ब्रिटिश शासन को अस्थायी रूप से उखाड़ फेंकने तथा दिल्ली के ऐतिहासिक शहर में विद्रोही सैनिको की, सैन्य बल, धन व युद्ध सामाग्री से सहता प्रदान
करने का श्रेय राव तुलाराम को जाता है। उनकी जयंती पर शुक्रवार को वक्ताओं ने अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि राव तुलाराम का जन्म 9 दिसम्बर 1825 को रेवाड़ी शहर में यदुवंशी परिवार में हुआ था।

अंग्रेजों से भारत को मुक्त कराने के उद्देश्य से युद्ध लडऩे के लिए उन्होंने भारत छोड़ा तथा ईरान और अफगानिस्तान के शासकों से मुलाकात की थी। रूस के जार के साथ सम्पर्क स्थापित करने की उनकी योजनाएं थीं। 1857 की क्रांति में राव तुलाराम ने खुद को स्वतंत्र घोषित करते हुए राजा की उपाधि धारण कर ली थी। उन्होने नसीबपुर- नारनौल के मैदान में अंग्रेजों से युद्ध किया जिसमें उनके 5 हजार से अधिक क्रान्तिकारी सैनिक मारे गए थे। उन्होने दिल्ली के क्रांतिकारियों को भी सहयोग दिया था। ब्रिटिश सेना के कमांडर जेरार्ड और कप्तान वालेस को मौत के घाट उतार दिया। वह तात्या टोपे से भी मिलने गए थे, लेकिन तात्या टोपे को बंदी बना लिए जाने के कारण वहां से उन्हें कोई सहायता नहीं मिल पाई थी। वक्ताओं ने कहा कि ब्रिटिश शासन ने 1859 मे राव तुलाराम की रियासत को जब्त कर लिया था।

35 वर्ष की आयु में 23 सितम्बर 1863 को काबुल में उनका निधन हो गया था। भारत सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया था। उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए राव तुलाराम मैमोरियल चिकित्सालय भी दिल्ली में खोला। इसी प्रकार दिल्ली के राव तुलाराम मार्ग स्थित रक्षा अध्ययन व विश्लेषण संस्थान व महाराजा राव तुलाराम पोलिटेक्निक, वजीरपुर चिराग दिल्ली में स्थित हैं। वक्ताओं ने युवाओं से आग्रह किया कि वे राव तुलाराम के जीवन से प्रेरणा लेकर देश की सेवा करें।

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