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राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने काबुल में बनाई थी भारत की अंतरिम सरकार

गुडग़ांव- देशवासी आजादी की 75वीं वर्षगांठ को अमृत महोत्सव के रुप में मना रहे हैं, जिसमें देश के ऊपर प्राण न्यौछावर करने
वाले स्वतंत्रता सेनानियों व शहीदों को याद किया जा रहा है। इसी क्रम में वीरवार को स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार व क्रांतिकारी राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्म एक दिसम्बर 1886 को उत्तरप्रदेश के मुरसान में राजा बहादुर घनश्याम सिंह के घर हुआ था। राजा महेंद्र प्रताप सिंह भारत की अंतरिम सरकार में राष्ट्रपति थे। जिसने 1915 में काबुल से प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान निर्वासन में भारत सरकार के रुप में कार्य किया था।

स्वतंत्रता संग्राम में उनका बड़ा योगदान रहा था। स्वदेशी आंदोलन में शामिल होकर उत्तरप्रदेश में विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करने व उनकी होली जलाने के लिए आंदोलन भी चलाया था। स्वतंत्रता आंदोलन को समर्थन प्राप्त करने के उद्देश्य से उन्होंने विदेशों का दौरा कर भारतीयों को स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति जागरुक करने का कार्य भी किया था। आजादी के बाद भारतीय गणतंत्र में समाज सुधारक के रुप में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी थी। केंद्र सरकार ने उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाने व उन्हें सम्मान देने के लिए 14 सितम्बर 2021 को राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की नीवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई है। 29 अप्रैल 1979 को उनका निधन हो गया था। वक्ताओं ने कहा कि देशवासियों को उनके दिखाये रास्ते पर चलना चाहिए। यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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