बड़ी संख्या में रोगी पहुंच रहे हैं उपचार के लिए अस्पतालों में
प्रशासन का आग्रह- घबराने की नहीं हैं कोई जरुरत, सतर्क रहकर कराएं उपचार
गुडग़ांव। कोरोना महामारी ने पिछले 3 सालों तक विश्व को हिलाकर रख दिया था, जिसमें बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान भी विश्व को उठाना पड़ा था। कोरोना के 3 साल बाद एच3एन2 एंफ्लूएंजा काफी घातक माना जा रहा है। सरकारी अस्पतालों, डिस्पेंसरियों में ही नहीं, अपितु निजी चिकित्सकों के क्लीनिकों पर भी एच3एन2 एंफ्लूएंजा की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन लोगों से आग्रह भी कर रहा है कि इससे घबराने की जरुरत नहीं हैं। सतर्क रहकर अपना उपचार कराएं।
चिकित्सकों का कहना है कि एच3एन2 एंफ्लूएंजा के लक्षण हालांकि कोरोना के समान ही हैं। इसमें खांसी, जुकाम, धीमा बुखार, सांस में दिक्कत, निमोनिया, कमजोरी, सिरदर्द, चक्कर, भूख में कमी, सिर व आंख में भारीपन, पेट खराब होना आदि इसके मुख्य लक्षण हैं। उनका यह भी कहना है कि खांसी लंबी चल सकती है। ऐसे में जांच कराना आवश्यक है, ताकि समय रहते उपचार किया जा सके और बीमारी को बढऩे से रोका जा सके। चिकित्सकों का यह भी कहना है कि संक्रमण से पीडि़त व्यक्ति को मास्क पहनना आवश्यक है। अन्यथा यह बीमारी अन्य लोगों को भी हो सकती है। सरकारी अस्पताल में भी बड़ी संख्या में एंफ्लूएंजा से पीडि़त मरीज पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि पानी की कमी नहीं रहने देनी चाहिए। भाप आदि लेना भी इसमें कारगर है।
क्या हैं आयुर्वेदिक उपचार
उधर आयुर्वेदिक चिकित्सकों का भी कहना है कि आयुर्वेदिक उपचार भी इसमें कारगर है। संजीवनी वटी, लंबगादी वटी, व्योषादा वटी की टेबलेट प्रात: गुनगुने पानी से लेनी फायदेमंद है। त्रिकुटा चूरण भी ले तों और भी अधिक लाभकारी होगा। अणु तेल की 3-3 बूंूंदे नाक में डालना भी फायदेमंद है। ठंडी तासीर वाले खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल न करें। जिला प्रशासन भी लोगों से आग्रह कर रहा है कि एंफ्लूएंजा से घबराएं नहीं। इसका उपचार अस्पतालों में उपलब्ध है।
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