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भगवान का आश्रय ही भवसागर से पार का है सूत्र : ब्रह्मोद्रानंद महाराज



गुडग़ांव। ब्रह्मानंद आश्रम वृंदावन के अधिष्ठाता स्वामी ब्रह्मोन्द्रानंद सरस्वती महाराज का कहना है कि निष्काम भाव से भजन करने वाले भक्त का भगवान भी ऋणी हो जाता है। जब भजन करते करते भगवान की अलौकिक छवि के दर्शन का आभास होने लगे तो समझना चाहिए कि अब हमारे पापों का नाश होना शुरू हो गया है।

उक्त उदगार स्वामी ब्रह्मोन्द्रानंद ने सेक्टर 10 स्थित श्री शिव शक्ति हनुमान मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत पुराण कथा में व्यासपीठ से व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवत कृपा से सन्तो की कृपा बड़ी होती है। सन्त के मार्गदर्शन में भगवत भजन करने से जीवन का कल्याण हो जाता है। कथा के दूसरे दिन महाराज जी ने नारद जी व वेद व्यास जी के संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि जब व्यास जी ने नारद से कहा कि वेद जैसे ग्रन्थ का संकलन करने के बाद भी मन को शांति नहीं मिली तब नारद जी ने कहा कि आपने वेदांत का तो प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया लेकिन प्रभु की चर्चा नहीं की कि प्रभु का भजन व चर्चा किए बिना मन को शांति नहीं मिल सकती। विद्वान वेदों के मंत्रों की व्याख्या बेशक करे लेकिन जब तक मन श्री हरि चरणों में नहीं लगेगा तब तक सब व्यर्थ है। इसलिए श्री हरि चरित्र लीला का वर्णन करने से ही मन को शांति मिल सकती है। उन्होंने कहा कि कीचड़ वाले जल से कौवा तो पानी पी सकता है लेकिन हंस उस पानी से मोती नहीं निकाल सकता।

महाराज जी ने 4 प्रकार के पुत्रों की चर्चा की। अनुसार सांसारिक जीवन में ऋण, शत्रु, सेवक, व उदासीन 4 प्रकार के पुत्र बताए गए हैं। पूर्ण जन्म में लिए गए ऋण को न चुकाने के कारण सन्तान रोगी या अन्य मद में अनावश्यक खर्च करती है। शत्रु पुत्र में पिछले जन्म में किसी को सताने के कारण इस जन्म में सन्तान शत्रु स्वरूपी पैदा होती है। ऐसे ही सेवक पुत्र की प्राप्ति होती है। उनका कहना है कि यह सब हमारे पूर्वजन्मों का प्रतिफल ही होता है, जो इस जन्म में मिलता है। भागवत पुराण कथा की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि वैसे तो सात जन्म में भी पूरा नही किया जा सकता तो भी परीक्षित महाराज के उद्धार के लिए भागवत सप्ताह का विधान है, जिससे सुनने से ही मानव जीवन भव से पार हो जाता है। भागवत पुराण में भगवान के स्वरूप, प्रभाव, स्वभाव व सत्य की महिमा का वर्णन किया गया है। श्री कृष्ण कृपा से द्रोपती व भीष्म के आशीर्वाद के प्रसंग दृश्य का भावपूर्ण चित्रण कथाव्यास ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा का श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।