गुडग़ांव- मां दुर्गा शक्ति की प्रतीक मानी जाती है। दुर्गा के 9 स्वरुप हैं, जिनकी विधिवत पूजा-अर्चना करने से जहां श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी होती है, वहीं उन्हें नई ऊर्जा का भी संचार होता है। मां दुर्गा के विभिन्न स्वरुपों की आराधना के लिए वर्ष में 2 बार नवरात्र भी मनाए जाते हैं। श्रद्धालु व्रत रखकर मां दुर्गा के विभिन्न स्वरुपों की पूजा-अर्चना करते हैं। ज्योतिषाचार्य डा. मनोज शर्मा का कहना है कि नवरात्र व्रत पापनाशक है। इसमें उपवास करके देवी भगवती की पूजा, जप व होम करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष-इन चारों की अभिलाषा करनेवाले को ये उत्तम व्रत अवश्य करने चाहिए। नवरात्रि के दिनों का अर्थ पंडित जी का कहना है कि नवरात्रि के प्रथम 3 दिन माँ काली की उपासना के होते हैं जिसमे अपने पाप कर्मो की निवृति के लिए जप किया जाता है। नवरात्रि के दूसरे 3 दिन लक्ष्मी की उपासना के होते है ताकि हम सफल सम्पदा के अधिकारी बनें। आखिरी 3 दिन सरस्वती की उपासना के होते हैं ताकि हमारे जीवन में प्रज्ञा ज्ञान का अर्जन हो। उसके लिए सारस्वत्य मंत्र का जप और सूर्य नारायण का ध्यान करना चाहिए। देवी भागवत के तीसरे स्कन्द में नवरात्रि का महत्त्व वर्णन किया है।
मनोवांछित सिद्धियां प्राप्त करने के लिए देवी की महिमा सुनायी है। नवरात्रि के 9 दिन उपवास करने के शारीरिक लाभ बताए हैं। यह हैं शारीरिक लाभ शरीर में आरोग्य के कण बढ़ते हैं। जो उपवास नहीं करता तो रोगों का शिकार हो जाता है, जो नवरात्रि के उपवास करता है तो भगवान की आराधना होती है, पुण्य तो बढ़ता ही है, लेकिन शरीर का स्वास्थ्य भी वर्ष भर अच्छा रहता है। प्रसन्नता बढ़ती है। संपन्नता की वृद्धि होती है। शारीरिक रोगों से भी मुक्ति मिलती है। उनका कहना है कि नवरात्रि में जप से श्रेष्ठ लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं। इसलिए जहां तक संभव हो सके सभी को नवरात्रों के व्रत रखकर मां दुर्गा का आशीर्वाद लेना चाहिए।
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