गुडग़ांव- स्वतंत्रता संग्राम में शिक्षाविदों, लेखकों व सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी विशेष योगदान रहा है। बिहार के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, असहयोग आंदोलन तथा खिलाफत आंदोलन के समर्थक रहे मौलाना मज़हरुल हक़ की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए बिहार मूल के लोगों ने कहा कि उनका जन्म पटना जिले के बाहपुरा गांव में 22 दिसंबर 1866 को एक जमींदार परिवार में हुआ था पटना व लखनऊ विश्वविद्यालय में पढऩे के बाद उच्च शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड चले गए। गांधी जी भी वहीं शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, जहां दोनों की मुलाकात हुई। बेरिस्टर बनने के बाद मौलाना ने छपरा में वकालत शुरू कर दी थी।
राजनीति में भी उनकी बड़ी रुचि थी। उन्होंने बिहार को अलग प्रदेश व पटना में विश्वविद्यालय स्थापना करने की मांग भी की थी। वक्ताओं ने कहा कि जब गांाी जी चंपारण के किसानों की दशा देखने के लिए बिहार गए तो पटना में मज़हरुल हक़ ने ही उनको आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई थी। उन्होंने असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया था। बिहार विद्यापीठ, बिहार नेशनल कॉलेज और सदाक़त आश्रम की स्थापना की स्थापना करने में उनका बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने मदरलैण्ड नामक साप्ताहिक पत्र का संपादन भी किया था। 2 जनवरी 1950 को उनका निधन हो गया था।
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