गुडग़ांवI भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से शुरू हुए पितृ पक्ष की सोमवार को नवमी तिथि पर दिवंगत माताओं, बेटियों, सुहागिन स्त्रियों का श्राद्ध किया गया। इसे मातृ नवमी भी कहा जाता है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि नवमी तिथि पर दिवंग माताओं का श्राद्ध करने से उनका आशीर्वाद तथा सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मातृ नवमी पर परिवार की पुत्रवधुओं ने व्रत रखकर दिवंगत आत्माओं से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद भी लिया। भागवत गीता के 9वें पाठ का अध्ययन भी किया गया। श्रद्धापूर्वक पितृों को याद करते हुए तिल का दीपक भी जलाया। तांबे के लोटे में जल और थोड़े से काले तिल डालकर पितृों का तर्पण किया। नवमी के दिन ब्राह्मण महिलाओं को भोजन भी कराया गया और उसके साथ ही 16 श्रृंगार की वस्तुएं भी भेंट की गई। कहा जाता है कि ऐसा करने से दिवंगत माताओं का आशीर्वाद मिलता है।
दिवंगत माताओं, बेटियों व सुहागिनों का श्राद्ध कर मनाई मातृ नवमी
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