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देश के स्वाधीनता संग्राम व सामाजिक कार्यों में विदेशी मूल की मार्गेट एलिजाबेथ का रहा बड़ा योगदान

गुडग़ांव- देश के स्वतंत्रता संग्राम व सामाजिक कार्यों में भारतीयों का ही नहीं, अपितु विदेशी मूल के नागरिकों का भी सहयोग रहा है। आयरलैंड मूल की मागे्र्रट एलिजाबेथ नोबल जिन्हें सिस्टर निवेदिता के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने देश में रहकर काफी सामाजिक
कार्य भी किए थे। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उनका जन्म 28 अक्तूबर 1867 को आयरलैंड में हुआ था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांंग्रेस की स्थापना, राष्ट्रीय चेतना, एकता, पुनर्जागरण व राष्ट्रीय स्वाधीनता में भी योगदान दिया था। स्वामी विवेकानंद के सिद्धांतों से मार्गेट बड़ी प्रभावित थी।

स्वामी विवेकानंद के इंग्लैंड प्रवास के बाद भी मार्गेट वेदांत आंदोलन के लिए काम करती रही। स्वामी विवेकानंद ने ही उन्हें निवेदिता नाम दिया था, जिसका अर्थ है जो समर्पित है। वक्ताओं ने बताया कि मार्गेट भारत में एक शिक्षिका के रुप में आई थी। उन्होंने  देश के बच्चों को शिक्षा देने के लिए स्कूल की स्थापना भी की थी। वह समाजसेवा के प्रति पूरी तरह से समर्पित रही। कलकत्ता में भीषण रुप से प्लेग फैलने पर उन्होंने बस्तियों में जाकर लोगों की बड़ी सेवा की थी। कलकत्ता में बालिका विद्यालय की स्थापना भी उनके द्वारा की गई थी। अरविंदो घोष जैसे राष्ट्रवादियों से भी उनका घनिष्ठ संबंध था। निवेदिका का निधन दार्जिंलिंग में 44 वर्ष की आयु में 11 अक्तूबर 1911 को हुआ था।

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