गुडग़ांवI सेना में 4 वर्ष के लिए केंद्र सरकार ने भर्ती करने की घोषणा अग्रिपथ योजना के तहत की है। सरकार की इस योजना का देश के
अधिकांश प्रदेशों में विरोध होना भी शुरु हो गया है। पिछले 2-3 दिन से विभिन्न स्थानों पर आगजनी, प्रदर्शन, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं घटित हो रह हैं जोकि देश के लिए बड़ी हानिकारक हैं। हालांकि सरकार अग्रिपथ योजना को देशवासियों विशेषकर युवाओं के लिए बड़ा हितकारी बता रही है, लेकिन देशवासी समझने को तैयार नहीं हैं। तभी तो वे धरने, प्रदर्शन व हिंसात्मक घटना को अंजाम देने से भी नहीं चूक रहे हैं। सामाजिक संस्था भगवान श्री परशुराम सेवादल के अध्यक्ष पंडित अरुण शर्मा अधिवक्ता का कहना है कि सेना में भर्ती के लिए युवा वर्ग बड़ी मेहनत करता है और वे भर्ती खुलने की प्रतीक्षा करते रहे हैं लेकिन सरकार ने अग्रिपथ योजना लाकर सेना में भर्ती की इच्छा रखने वाले युवा वर्ग के साथ एक बड़ा खिलवाड़ किया है।
देश में युवा वर्ग रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है। इस योजना के तहत 4 वर्ष सेना में नौकरी करने के बाद 75 प्रतिशत युवाओं का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है। अरुण शर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार ने पहले 3 कृषि बिल लागू किए थे, जिसका देश के किसानों ने विरोध भी किया था। अंत में सरकार को इन बिलों को वापिस लेते हुए किसानों के आगे झुकना पड़ा था और अब युवा वर्ग के साथ सरकार धोखा कर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि जनहित में अग्रिपथ योजना को तुरंत वापिस ले लेना चाहिए और सेना में स्थायी भर्ती शुरु कर देनी चाहिए। देश के सामने महंगाई एवं बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है और इन मुद्दों से भटकाने के लिए केंद्र सरकार कोई न कोई ऐसा मुद्दा छेड़ देती है, ताकि आम जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटका दिया जाए। उनका कहना है कि सरकार को रोजगार के नए अवसर पैदा करने चाहिए ताकि युवा वर्ग को अधिक से अधिक रोजगार मिल सके। वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि आज पूरे देश में अराजकता का माहौल बना हुआ है। यदि समय रहते युवा वर्ग संतुष्ट नहीं किया गया तो सरकार व देश को बड़ा नुकसान हो सकता है। सरकार को इस दिशा में खुले दिल से निर्णय लेना चाहिए।
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