गुडग़ांव: प्रदेश सरकार ने प्रदेशवासियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरु की हुई हैं। इन योजनाओं का लाभ पात्र परिवारों तक आसानी से पहुंच सके, इसके लिए प्रदेश सरकार ने परिवार पहचान पत्र योजना को भी लागू किया हुआ है। इस योजना की खामियों को लेकर राजनैतिक व कर्मचारी संगठन भी आवाज उठाते रहे हैं। एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के हरियाणा प्रदेश सचिव सत्यवान ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि गरीबों व वंचितों की परेशानियों का सबव बन चुकी परिवार पहचान पत्र योजना को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
उनका कहना है कि यह योजना पूरी तरह से अव्यवहारिक व गैर जरुरी साबित हुई है। जब आधार कार्ड को यूनिक आईडी करार दिया जाता है तो सरकार द्वारा प्रदत्त तमाम कल्याणकारी योजनाओं में परिवार पहचान पत्र के नाम से अलग से एक नई फैमिली आईडी की शर्त की अनिवार्यता थोपने का कोई औचित्य नहीं है। उनका कहना है कि फैमिली आईडी जब बनाई गई थी, उस समय सीएससी सेंटरों में प्रिंट निकालकर अशिक्षित व भोले-भाले लोगों के हस्ताक्षर करा लिए गए थे और फैमिली आईडी में लोगों की वार्षिक आमदनी व अन्य सूचनाओं के मनमर्जी डिजिटल आंकड़े भर दिए गए थे, जिसके कारण हजारों लोग बुढापा सम्मान निधि, आयुष्मान स्कीम, शिक्षा भत्ते, बीपीएल सूची आदि सुविधाओं से वंचित भी हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि उक्त योजनाओं का लाभ उठाने के लिए जो औपचारिकताएं बताई गई हैं, उन्हें पूरी करना असंभव है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि परिवार पहचान पत्र योजना को तत्काल वापिस लिया जाए। सभी पात्र लाभार्थियों की काटी गई सुविधाएं अबिलंव बहाल की जाएं, जांच के नाम पर उन्हें दंडित न किया जाए।
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