गुडग़ांव- प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022 में शहरवासियों के लिए कई सुविधाओं की घोषणा विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से की थी। गुरुग्राम मेट्रो पॉलिटियन डवलपमेंट अथॉरिटी (जीएमडीए) और नगर निगम ने शहरवासियों को ये सुविधाएं देने के लिए काफी कुछ किया। नगर निगम व जीएमडीए के प्रयासों से शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति पहले से बेहतर हो गई। नहीं तो शहरवासी पेयजल की किल्लत को लेकर सदैव सडक़ों पर उतरते रहते थे। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में नए बूस्टिंग स्टेशन व वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य भी युद्ध स्तर पर शुरु किया गया। जीएमडीए व नगर निगम का यही प्रयास रहा कि नहरी पानी को पेयजल के रुप में शहर के हर क्षेत्र में उपलब्ध कराया जाए। हालांकि शहर के कुछ क्षेत्रों में आज भी पेयजल आपूर्ति का लाभ शहरवासियों को नहीं मिल पा रहा है। जीएमडीए व नगर निगम को इस दिशा में और अधिक प्रयास करने होंगे।
शहर से लगते ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेयजल उपलब्ध कराने के लिए दोनों विभागों ने कमर कसी हुई है। शहर के अधिकांश क्षेत्रों में आज भी अवैध रुप से पेयजल आपूर्ति की जा रही है। कई कालोनियों में अवैध रुप से पानी के कनेक्शन बड़ी संख्या में लोगों ने लिए हुए हैं। बताया जाता है कि एक-एक मकान में 4-4 पानी के कनेक्शन हैं, जोकि पूरी तरह से अवैध हैं। नगर निगम व जीएमडीए को इस ओर कदम उठाने होंगे, ताकि जहां पानी की बर्बादी को रोका जा सके, वहीं राजस्व की प्राप्ति भी नगर निगम व जीएमडीए को हो सके। नगर निगम क्षेत्र में शामिल की गई कालोनियों में नगर निगम ने पानी के मीटर तो नहीं लगाए हैं, लेकिन इन कालोनीवासियों से सीवरेज व पेयजल का शुल्क फ्लेट रेट से लेना शुरु कर दिया है। नगर निगम का कार्यकाल नवम्बर माह में समाप्त हो चुका है।
अपने कार्यकाल में शहर के सभी 35 वार्डों में नगर निगम पार्षदों द्वारा विकास कार्य युद्ध स्तर पर कराए गए हैं, ताकि उनका लाभ उन्हें आने वाले नगर निगम चुनाव में मिल सके। नगर निगम क्षेत्र के पुराने शहर की सडक़ों की हालत वर्ष 2022 में भी खराब ही रही। हालांकि नगर निगम व जीएमडीए दावे करता रहा कि सडक़ों की मरम्मत का कार्य युद्धस्तर पर कराया जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सैक्टर 9 व सैक्टर 10 में सडक़ों की हालत जर्जरावस्था में है। क्षेत्रवासी मांग करते रहे हैं कि इन सडक़ों की हालत में सुधार किया जाए। हालांकि क्षेत्र के निगम पार्षदों ने सडक़ों की मरम्मत के कार्य कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जलभराव की समस्या का सामना भी पुराने गुडग़ांववासियों को हर साल की तरह वर्ष 2022 में भी करना पड़ा।
नगर निगम के पास करोड़ों का बजट है, लेकिन इच्छाशक्ति के भाव में नगर निगम के अधिकारी इस बजट को पूरा खर्च ही नहीं कर पाते और यह बजट वित्त वर्ष के 31 मार्च को लैप्स हो जाता है। नगर निगम की दरियादिली देखी जाए तो नगर निगम गुडग़ांव ने नगर निगम फरीदाबाद को पिछले कई वर्ष पूर्व करोड़ों रुपए उधार दिए थे, लेकिन यह उधार आज तक भी नगर निगम में वापिस नहीं आया है। नगर निगम का मुद्दा विधानसभा में भी गूंजता रहा हैं लेकिन इन अधिकारियों पर कोई असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। नए गुडग़ांव क्षेत्र की कई कालोनियां जो नगर निगम क्षेत्र में आ चुकी हैं, वहां के कालोनीवासी भी नगर निगम अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते रहे हैं।
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