गुडग़ांवI श्रीमदभागवत गीता वास्तव में संपूर्ण जीवन दर्शन का शास्त्र है। गीता जहां आद्यात्मिक जीवनशैली को दर्शाती है, वहीं गीता ज्ञान समग्र मानवता को एकत्व भाव प्रदान करता है। भागवत गीता आज भी देश ही नही, अपितु विश्व में भी अपने ज्ञान के लिए प्रसांगिक है। भागवत गीता ही ऐसा शास्त्र है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से विश्व के मानव को हर प्रकार के ज्ञान से अवगत कराया है। उक्त उद्गार धार्मिक संस्था ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर के मीडिया प्रभाग में कार्यरत बीके मदन मोहन ने व्यक्त किए। उनका कहना है कि यह सर्वदा सत्य है कि गीता ज्ञान दाता परमात्मा के सिवाय कोई और नहींं हो सकता।
गीता आद्यात्मिक शास्त्र होने के कारण आत्मा का सच्चा बोध भी कराती है। गीता हमें आत्मा के मूल स्वरुप में स्थित होने का संदेश भी देती है। हमारी सत्य पहचान ही आत्मा है। देह तो आत्मा का वस्त्र है। उनका कहना है कि गीता ज्ञान के अनुसार आत्मा अपना मित्र भी स्वयं है और शत्रु भी स्वयं है। आत्मा के असली शत्रु काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार हैं। प्रकृति के 5 तत्वों के प्रभाव में आकर काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार के वश में मानव हो जाता है। तब परमात्मा उसे उसकी सत्य पहचान देते हैं।
गीता ज्ञान से ही वास्तव में आदि सनातन देवी-देवता व धर्म की स्थापना हुई थी। उनका कहना है कि विश्व में अजीब तरह के हालात बनते जा रहे हैं। हमारा देश भी इन सबसे प्रभावित हो रहा है। ऐसे में गीता के आद्यात्मिक मर्म को समझना आवश्यक है। यदि हम गीता के संदेश को जीवन में अपना लें तो विश्व में जो हालात बिगड़ते जा रहे हैं, उन्हें सामान्य होने में देरी नहीं लगेगी।
Comment here