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स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए देशवासियों को प्रेरित किया गणेश वासुदेव जोशी ने

गुडग़ांवI आजादी के 75वें अमृत महोत्सव को राष्ट्र धूमधाम से मना रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में देश को आजाद कराने में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले शहीदों, क्रांतिकारियों व स्वतंत्रता सेनानियों को पूरा राष्ट्र याद कर रहा है। समाज सुधारक व सामाजिक कार्यकर्ता गणेश वासुदेव जोशी को उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि देश में स्वदेशी का विचार सबसे पहले गणेश वासुदेव जोशी
ने ही प्रस्तुत किया था। उन्होंने देशी व्यापारोत्तेजक मंडल की स्थापना कर स्याही, साबुन, मोमबत्ती, छाते आदि स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन करने को प्रोत्साहन दिया था। इसके लिए स्वयं आर्थिक हानि भी सही थी।

इस स्वदेशी माल की बिक्री के लिए सहकारिता के सिद्धांत पर आधारित पुणे, सातारा, नागपूर, मुंबई, सुरत आदि स्थानों पर दुकाने प्रारंभ करने के लिए प्रोत्साहित किया था। वक्ताओं ने कहा कि उनका जन्म महाराष्ट्र में 20 जुलाई 1828 को हुआ था। उनके द्वारा किए गए सार्वजनिक कार्यों के कारण उनको सार्वजनिक काका के रुप में जाना जाता था। न्यायमूर्ति रानडे के साथ मंत्रणा कर सार्वजनिक काका ने 1872 में स्वदेशी आंदोलन का श्रीगणेश किया था। स्वदेशी वस्तुओं की प्रदर्शनियां भी आयोजित की थी। उन्हीं के प्रयासों से आगरा में कॉटन मिल शुरु की गई थी। 12 जनवरी 1872 को उन्होंने खादी उपयोग में लाने की शपथ ली थी और उसे आजीवन निभाया। खादी का उपयोग कर उसका प्रचार-प्रसार करने वाले वे पहले दृष्टा देशभक्त थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1880 की 25 जुलाई को गणेश वासुदेव जोशी का निधन हो गया। उनके द्वारा दिखाए मार्ग पर चलकर देश व समाज का भला हो सकता है, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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