गुडग़ांवI देशवासी आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहे हैं, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों व क्रांतिकारियों को देशवासी याद कर रहे हैं। इसी क्रम में क्रांतिकारी, लेखक व स्वतंत्रता सेनानी विपिन चंद्र पाल की पुण्यतिथि का आयोजन शुक्रवार को किया गया। वक्ताओं ने कहा कि विपिन चंद्र पाल का जन्म 7 नवम्बर 1858 को हुआ था। उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों के जनक के रुप में जाना जाता है। अरविंद घोष के साथ मिलकर विपिन चंद्र पाल ने पूर्ण स्वराज की जहां मांग की थी, वहीं स्वदेशी आंदोलन, विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और राष्ट्रीय शिक्षा के आदर्शों से जुड़े राष्ट्रीय आंदोलनों का भी प्रतिनिधित्व किया था।
वह ब्रह्म समाज के सदस्य थे। भेदभावपूर्ण और शस्त्र अधिनियम के खिलाफ लडते हुए उन्होंने सामाजिक व आर्थिक बुराईयों को दूर करने का प्रयास भी किया था। उन्होंने सप्ताह के 48 घंटे कार्य करने की वकालत करते हुए श्रमिकों को दी जाने वाली मजदूरी में वृद्धि करने की मांग भी तत्कालीन ब्रिटिश सरकार से की थी। वक्ताओं ने कहा कि पत्रकार के रुप में भी विपिन चंद्र पाल ने बंगाल पब्लिक ओपीनियन द ट्रिब्यून व न्यू इंडिया के लिए कार्य करते हुए राष्ट्रवाद का प्रचार किया था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका बड़ा योगदान रहा था। 20 मई 1932 को उनका निधन हो गया था। विपिन चंद्रपाल के दिखाए रास्ते पर चलकर ही देश व समाज का भला संभव है। यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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