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डा. राजेंद्र प्रसाद भारतीय लोकतंत्र के थे सजग प्रहरी

गुडग़ांव- देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर साईबर सिटी के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न संस्थाओं व संगठनों द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने डा. राजेंद्र प्रसाद को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि वह स्वतंत्र भारत के निर्माताओं में प्रथम पंक्ति के नेता और देश के प्रथम राष्ट्रपति तथा भारतीय लोकतंत्र के सजग पहरी थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ उन्होंने सेवा का व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त किया और अपने जीवन में उसे ढाला। उनका जन्म वर्ष 1884 की 3 दिसंबर को बिहार के छपरा जिले में हुआ
था। वर्ष 1934 में उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया। स्वतंत्रता आंदोलन में भी उनका बड़ा योगदान रहा था। वर्ष 1946 की 11 दिसंबर को संविधान सभा के अध्यक्ष पद पर डा. राजेंद्र प्रसाद सर्वसम्मति से चुने गए थे। वर्ष 1950 की 26 जनवरी को देश के गणतंत्र बन जाने की घोषणा की गई। उस दिन भारतीय संविधान सभा द्वारा स्वीकृत सार्वभौम संप्रभुता संपन्न गणतंत्र की स्थापना हुई। डा. राजेंद्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति बने। उनका निधन वर्ष 1963 की 28 फरवरी को हुआ था।  वक्ताओं ने कहा कि भारत निर्माता के रुप में डा. राजेंद्र प्रसाद की छवि है। देशवासियों को उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए आगे बढऩा चाहिए ताकि देश उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हो सके।

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