गुडग़ांव। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि जिसे जानकी अष्टमी भी कहा जाता है। मंगलवार को महिला श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर धूमधाम से मनाया। शास्त्रों में भी उल्लेख है कि इस दिन सीता माता ने धरती पर जन्म लिया था, या ऐसा कहा जाए कि सीता माता इस दिन धरती पर प्रकट हुई थीं। अष्टमी तिथि पर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में विशाल भण्डारों का आयोजन भी सामाजिक संस्थाओं व धर्मप्रेमियों द्वारा किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद भी ग्रहण किया। नित कार्यों से निवृृत होकर महिलाओं ने अष्टमी का व्रत भी रखा।
भगवान श्रीराम व माता सीता की पूजा-अर्चना के साथ विघ्रहर्ता गणेश व माता दुर्गा की श्रद्धालुओं ने आराधना की। मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। महिलाओं ने सीता माता की कथा भी सुनी। मां सीता को पीले रंग के फूल चढ़ाते हुए श्रद्धालुओं ने पीले वस्त्र व श्रृंगार का सामान अर्पित किया। श्रद्धालुओं ने अपनी सामथ्र्यनुसार जरुरतमंदों को दान भी दिया। शास्त्रों में उल्लेख है कि राजा जनक खेत में हल चला रहे थे, उसी दौरान उन्हें धरती में से सोने की डलिया में से एक सुंदर कन्या मिली। उस समय राजा जनक के कोई संतान नहीं थी, इसलिए राजा जनक उस कन्या को अपने घर ले जाए और उसका नाम सीता रखा। जीवन भर उन्होंने उसे पुत्री के रुप में अपनाया, इसी लिए सीता माता जानकी कहलाई।
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