गुडग़ांवI केंद्र सरकार ने आगामी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की जो घोषणा की है, वह गत वर्ष फसलों की एमएसपी और महंगाई दर अनुमान के साथ तुलना में खरीफ की 14 फसलों में से 11 फसलों की एमएसपी वृद्धि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की 6.7 प्रतिशत की अनुमानित महंगाई दर से भी कम है। आरबीआई ने वार्षिक महंगाई दर 6.7 प्रतिशत बताई है। महंगाई दर बढऩे से जहां किसानों की फसल की लागत बढ़ेगी, वहीं उनकी आमदनी घटेगी। उक्त बात जिला के संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष व जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान संतोख सिंह ने कही है।
उनका कहना है कि सरकार ने जो दाम बढ़ाए हैं, उसमें दावा किया गया है कि किसानों को लागत से डेढ़ गुना दाम दे दिए हैं जो कि सरासर गलत है। इस लागत में जमीन का किराया, कृषि औजारों का अवमूल्यन से होने वाला नुकसान तथा लगाई गई पूंजी का ब्याज, लागत खर्च में नहीं जोड़ा गया है, जबकि इसकी स्वामीनाथन आयोग ने सिफारिश की हुई है। आयोग का कहना था कि कंप्रिहेंसिव कॉस्ट से 50 प्रतिशत अधिक फसलों का मूल्य किसानों को मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। संंतोख सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की है कि किसानों को उनकी फसलों का वास्तविक लागत का डेढ़ गुना दाम तथा एमएसपी को कानूनी दर्जा देने के लिए कमेटी गठित कर उसे तुरंत लागू किया जाए। फोटो नंबर 02 : चौधरी संतोख सिंह।
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