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पूसा का कृषि अनुसंधान फार्म डा. अनुग्रह नारायण सिंह की ही है देन : कुलदीप जांघू

गुडग़ांवI देश की आजादी में विभिन्न प्रदेशों के लोगों का सक्रिय योगदान रहा था। बिहार प्रदेश से संबंधित राजनेताओं ने आजादी के
लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। वरिष्ठ श्रमिक नेता कुलदीप जांघू ने स्वतंत्रता सेनानी व बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री डा. अनुग्रह नारायण सिंह की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए कहा कि बिहार के विकास में उनका योगदान अतुलनीय है। उन्होंने बिहार के प्रशासनिक ढांचा तैयार करने के काम में बड़ा योगदान दिया था। उनका पूरा जीवन सादगी से भरा था। वह देश के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक व राजनीतिज्ञ रहे हैं।

उनका जन्म 18 जून 1887 को औरंगाबाद जिले के पोईअवा नामक गांव में हुआ ठाकुर विशेश्वर दयाल सिंह के परिवार में हुआ था। उन्होंने औरंगाबाद में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की ओर उच्च शिक्षा के लिए वे पटना चले गए थे। छात्र जीवन में उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी देखी थी। देश को आजाद कराने में जुटे वरिष्ठ नेताओं से वह काफी प्रभावित हुए और वह स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। अंग्रेजों के विरुद्ध चम्पारण से अपना सत्याग्रह आंदोलन उन्होंने शुरू किया था। महात्मा गांधी, डा. राजेन्द्र प्रसाद, सुरेंद्र नाथ बनर्जी, योगीराज अरविंद घोष के संस्कारों का प्रभाव भी उनपर पड़ा। देश आजाद होने के बाद उन्हें बिहार का उप मुख्यमंत्री भी बनाया गया था।

अपने कार्यकाल में उन्होंने बिहार प्रदेश के लिए काफी कार्य भी किए। 13 वर्षों तक बिहार की अनवरत सेवा की। बिहार में उद्योग-धंधे का जाल भी बिछाया। श्रमिक नेता ने कहा कि देश में पहली बार जापानी ढंग से धान उपजाने की पद्धति को वह ही देश में लेकर आए। पूजा का कृषि अनुसंधान फार्म उनकी ही देन है। 5 जुलाई 1957 को पटना में बीमारी के चलते उनका निधन हो गया था। उन्होंने कहा कि सादगी से पूर्ण डा. अनुग्रह नारायण सिंह के दिखाए रास्ते पर चलकर ही देश का विकास संभव है।

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