गुरुग्राम।शहर में वायु प्रदूषण की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। चाहे किसी भी राजनैतिक दल की सरकार प्रदेश में रही हो, लेकिन गुडगांव शहर को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठाए गए। कागजी कार्यवाही में तो कदम उठाए जाते हैं, लेकिन धरातल पर इन कार्यवाही का कोई असर दिखाई नहीं देता। गुडगांव प्रदेश का ही नहीं, अपितु देश का प्रदूषित शहर बनता जा रहा है, लेकिन इसमें सुधार करने के लिए जो आवश्यक था, वह नहीं किया गया। पिछले एक दशक से लगातार प्रदूषण के मामले में शहर की स्थिति खराब होती जा रही है। वायु प्रदूषण का कुप्रभाव वृद्धजनों व छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर अधिक पड़ रहा है। साईबर सिटी में पीएम 2.5 का स्तर 400 से अधिक दर्ज होता रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रदूषण को नियमित करने के लिए जो योजनाएं बनाता रहा है, वे पर्याप्त नहीं हैं। वायु प्रदूषण की स्थिति प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। यह प्रदूषण क्यों फैल रहा है, इसकी भी जानकारी शायद किसी के पास नहीं है। पर्यावरणविदों का कहना है कि डीजल-ऑटो से वायु प्रदूषण अधिक फैलता है, जबकि प्रशासन ने डीजल ऑटो के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है और उनके स्थान पर सीएनजी ऑटो या ईरिक्शा ही चल रही हैं। जानकारों का कहना है कि हालांकि प्रदेश सरकार ने ई-ऑटो के संचालन की योजना भी साईबर सिटी में बनाई हुई है, जिसका विधिवत शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने किया था। जानकारों का यह भी कहना है कि गुडगांव शहर में धुंआ छोडऩे वाले कोई उद्योग नहीं हैं, लेकिन फिर भी गुडगांव देश दुनिया के प्रदूषित शहरों में शामिल है। निर्माण कार्यों से भी धूल के कण आसमान में छाए रहते हैं जिससे लगातार जहरीली हवा फैलती रहती है। प्रदूषण का मुख्य कारण धूल के कण भी हैं और इनको रोक पाना असंभव ही दिखाई दे रहा है। शहर की जर्जर सडकें, फ्लाईओवर, अंडरपास व सडक निर्माण के कार्यों से भी पूरे दिन धूल उड़ती रहती है। शहर की बहुत कम सडकें ही साफ दिखाई देती हैं। शहर में हरियाली की भारी कमी है। बड़े-बड़े वटवृक्ष गगनचुंबी इमारतों के निर्माण की भेंट चढ़ चुके हैं। जो पौधारोपण कराया जाता है, रोपित किए गए पौधों की देखभाल नहीं की जाती। जिससे पौधारोपण भी एक रस्म अदायगी ही बनकर रह गया है। गुरुग्राम में बढ़ते प्रदूषण के कारण आमजन का सांस लेेना भी दुश्वार हो गया है।
