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16 से शुरु हो जाएगा खरमास, 14 जनवरी को होगा समाप्त

गुरुग्राम । आगामी मंगलवार से खरमास शुरू होने वाला हैं जो 14 जनवरी को समाप्त होगा। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास का महीना प्रारंभ हो जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित राजनाथ शास्त्री का कहना है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास माह के शुरू होने पर सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य थम जाते हैं। खरमास में किसी भी तरह का कोई भी मांगलिक कार्य जैसे, विवाह, गृह प्रवेश और यज्ञोपवीत आदि संस्कार नहीं किया जाता है, लेकिन खरमास माह में जमीन-जायदाद, मकान और वाहन की खरीदारी करने में कोई भी मनाही नहीं होती है। दरअसल खरमास में सूर्य की गति धीमी हो जाती है जिस कारण कोई भी शुभ कार्य में सफलता मिलने की संभावनाएं कम हो जाती है। उनका कहना है कि हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में दो बार खरमास आता है। इन दोनों का का विशेष महत्व होता है। खरमास साल का वह समय होता है जिसमें कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। पंचांग के अनुसार साल का पहला खरमास मार्च-अप्रैल में जबकि दूसरा खरमास दिसंबर के महीने में आता है। खरमास में भगवान विष्णु और सूर्यदेव की आराधना का विशेष महत्व होता है।
कब से शुरू और कब खत्म होगा खरमास
उनका कहना है कि हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार 16 दिसंबर को जब सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करेंगे तब खरमास की शुरुआत हो जाएगी। सूर्यदेव धनु राशि में करीब एक महीने तक रहेंगे और जब धनु से निकलकर अगली राशि यानी मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब खरमास खत्म हो जाएगा। सूर्य मकर राशि में आगामी 14 जनवरी को प्रवेश करेंगे। इसी के साथ खरमास खत्म हो जाएगा और सभी तरह के शुभ और मंगल कार्य फिर शुरू हो जाएंगे।
खरमास में मांगलिक कार्य क्यों है वर्जित
ज्योतिषाचार्य पंडित राजनाथ शास्त्री का कहना है कि खरमास के दौरान सूर्य का प्रकाश और स्थिति दोनों ही कमजोर हो जाती है, जिसके कारण शुभ प्रभावों में कमी आ जाती है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ऊर्जा, प्रकाश, आत्मा, शक्ति और सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। सूर्य हर एक राशि में एक महीने तक रहते हैं और जब ये धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दौरान इनकी ऊर्जा कम हो जाती है। धनु और मीन राशि के स्वामी ग्रह बृहस्पति होते हैं। शास्त्रों के अनुसार सूर्य जब देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दौरान वह अपने गुरु की सेवा में रहते हैं ऐसे में सूर्य का प्रभाव कम हो जाता है। साथ ही सूर्य की वजह से गुरु ग्रह का बल भी कमजोर होता है। इस कारण से दो प्रमुख ग्रहों की ऊर्जा में कमी आने के कारण कार्यों में स्थायित्व की कमी आ जाती है।
खरमास के नियम और पूजा विधि
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि खरमास के दौरान शुभ और मांगलिक कार्यों को करने से उतना लाभ नहीं मिलता है जितना मिलना चाहिए इसलिए शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए। लेकिन खरमास के महीने में पूजा-पाठ कीर्तन, तीर्थ यात्रा, मंत्र जाप, भागवत गीता, रामायण पाठ और विष्णु भगवान की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है।
क्या न करें खरमास में
उनका कहना है कि जब खरमास का महीना चल रहा हो तो इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सगाई, भूमि पूजन और कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। खरमास के दौरान तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। खरमास के दौरान किसी के साथ वाद-विवाद से बचना चाहिए।