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त्यौहारी सीजन में सक्रिय हो जाते हैं मिलावट खोर

गुरुग्राम। त्यौहारी सीजन चल रहा है। आगामी दिनों में करवा चौथ, दीपावली, भैयादूज आदि त्यौहार आने वाले हैं। ऐसे में खाद्य सामग्री, मिठाइयों आदि की बिक्री अधिक होती है और मिलावटखोर भी मौका पाकर अपना सामान बाजार में बेचने के लिए जुट जाते हैं। खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या गंभीर होती जा रही है। उक्त विचार वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाशचंद ने व्यक्त किए। उनका कहना है कि खाद्य सामग्री में मिलावट करने वालों के खिलाफ भारत में खाद्य सुरक्षा कानून लागू हैं, जिनमें वर्ष 2025 में कुछ बड़े संशोधन किए गए हैं। अब मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने पर जेल की सजा नहीं अपितु केवल जुर्माना लगाया जाता है। मिलावटखोरों पर कार्यवाही के लिए जुर्माने की राशि हानिकारक माल बेचने पर 10 लाख रुपये तक हो सकती है, जबकि हानिकारक न होने पर 2 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, पनीर, खोवा, आइसक्रीम आदि में अब वेजिटेबल ऑयल, सोया प्रोटीन और मिल्क पाउडर जैसे मिश्रित पदार्थों को कानूनी मान्यता दे दी गई है, जिन्हें पहले अवैध माना जाता था। उनका कहना है कि यह संशोधन उपभोक्ताओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी जोखिम उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि मिलावटी खाद्य पदार्थों का सेवन कैंसर, हृदय और लिवर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। इस कारण कुछ राज्यों में मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, निगरानी, और सामाजिक स्तर पर पहचान का प्रावधान भी किया गया है। राज्य स्तर पर मिलावट रोकने की सक्रिय जांच, जब्ती और नष्ट करने के अभियान।इस कानून के तहत मिलावटखोरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जुर्माना, जांच, जब्ती और सार्वजनिक पहचान के माध्यम से की जाती है, परन्तु जेल की सजा अब नहीं होती। विशेषज्ञ और न्यायालय इसके खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग कर रहे हैं ताकि उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।