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राजा परीक्षित एवं शुकदेव संवाद का कथाव्यास ने संगीतमय शैली में किया वर्णन

गुरुग्राम। धार्मिक संस्था अखंड संकीर्तन मंच द्वारा सैक्टर 9ए स्थित श्री गौरी शंकर मंदिर परिसर मेें आयोजित की जा रही श्रीमदभागवत ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन काशी की कथाव्यास आराधना देवी ने राजा परीक्षित एवं शुकदेव संवाद आदि की कथा का संगीतमय शैली में वर्णन किया। उन्होंने कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वन में चले गए। उनको प्यास लगी तो समीक ऋषि से पानी मांगा। ऋषि समाधि में थे, इसलिए पानी नहीं पिला सके। परीक्षित ने सोचा कि साधु ने अपमान किया है। उन्होंने मरा हुआ सांप उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया। यह सूचना पास में खेल रहे बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र को दी। ऋषि के पुत्र ने शाप दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प आएगा और राजा को जलाकर भस्म कर देगा। समीक ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित हैं और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है। उनका कहना है कि समीक ऋषि ने जब यह सूचना जाकर परीक्षित महाराज को दी तो वह अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहां बड़े ऋषि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत में व्यास नंदन शुकदेव वहां पहुंचे। शुकदेव को देखकर सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। शुकदेव इस संसार में भागवत का ज्ञान देने के लिए ही प्रकट हुए हैं। संस्था के प्रवक्ता एसके तिवारी का कहना है कि कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु व गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की समस्या न हो, इसके लिए संस्था के सदस्य जुटे हुए हैं।