गुरुग्राम। जीवन में हर पल प्रभु का आभार प्रकट करना ही भक्ति का आधार है, सहज समर्पण ही प्रभु को भाता है। गिले-शिकवे आदि भाव भक्ति में बाधा बनते हैं। भक्त तो प्रभु की रजा में ही अपने आप को समर्पित करता है। हम सभी एक ही परमपिता परमात्मा की संतान है। उक्त विचार सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज के आशीर्वाद से संत निरंकारी मंडल द्वारा सैक्टर 31 स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित महिला संत समागम को संबोधित करते हुए संजुला चौधरी ने व्यक्त किए। उनका कहना है कि नारी हो या नर हो, सभी में एक ही प्रभु परमपिता परमात्मा की आत्मा की ही वास है। महिलाएं भी आध्यात्मिक जागृति प्राप्त कर भक्ति में बढ़-चढ़ कर घर-परिवार, समाज का उत्थान कर रही हैं। भक्ति भाव से सहनशीलता, विशालता, नम्रता, समर्पण और प्यार के भाव मन में स्वयं ही आने लगते हैं। सतगुरु तो प्यार से ही जीना सिखाते हैं, सभी ने एक दूसरे से प्यार करना ही नहीं प्यार ही बन जाना है। उनका कहना है कि व्यक्ति को कुल, जाति, पदवी या उपाधियों से मुक्त रहना चाहिए। खुद को विशेष मानना और दूसरे को नीचे समझना यह भक्ति वाले भाव नहीं हैं। समागम में महिलाओं ने व्याख्यान, भजन, गीत, कविता आदि की प्रस्तुति दी। आयोजन को सफल बनाने में निर्मल मनचंदा, रश्मि भाकुनी आदि का सहयोग रहा।
महिला संत समागम का हुआ आयोजनप्रभु की रजा में ही अपने आप को समर्पित करता है भक्त : संजुला चौधरी
