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आज लगेगा चंद्र ग्रहण, सूतक लगने के कारण आज दोपहर में ही बंद हो जाएंगे मंदिरों के कपाट

गुरुग्राम। आज रविवार को वर्ष का दूसरा व अंतिम चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है, जो भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। हिंदू धर्म में इसे अशुभ अवधि के रूप में जाना जाता है, इसलिए इसके आरंभ से समापन तक कई नियमों का पालन किया जाता है। ज्योतिष में इसका असर 12 राशियों और 27 नक्षत्रों पर पड़ता है, जिससे कुछ जातकों को लाभ, तो कुछ की परेशानियां बढऩे लगती हैं। ग्रहण के दौरान धार्मिक स्थलों के कपाट बंद रहेंगे। चंद्रग्रहण रात्रि 9 बजकर 57 मिनट से शुरू होगा। जो रात्रि एक बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। चंद्रग्रहण का सूतक नौ घंटे पहले तथा सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लग जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित डा. मनोज शर्मा का कहना है कि रविवार को चंद्रग्रहण का सूतक दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से शुरू हो जाएगा। ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए। केवल अपने इष्टदेव का जाप करना चाहिए। इससे इष्टदेव प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा करते हैं। चंद्रग्रहण समाप्ति के बाद मंदिर की शुद्धि की जाएगी, देवी-देवताओं के वस्त्र बदले जाएंगे, आरती कर उन्हें भोग लगाया जाएगा। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र स्थित आज रविवार को चंद्रग्रहण का सूतक लगने के कारण कपाट बंद हो जाएंगे। इसी प्रकार शहर के विभिन्न क्षेत्रों स्थित ईष्ट देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को भी ढक दिया जाएगा। पूरे दिन श्रद्धालु मंदिरों में ईष्ट देवों के दर्शन नहीं कर पाएंगे और अगले दिन सोमवार की प्रात: ही मंदिर की साफ सफाई तथा प्रात: की आरती के बाद ही कपाट खुलेंगे।
ग्रहण में क्या करें, क्या न करें  
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शर्मा का कहना है कि चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप – ध्यान करने से कई गुना फल होता है। सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर  पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। वृद्ध, बालक और रोगी भोजन कर सकते हैं। उनका कहना है कि जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए। गहण शुरु हाने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए। ग्रहण पूरा होने पर सूर्य चंद्र या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए। ग्रहण के समय गायों को घास , पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है। ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोडऩे चाहिए। ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। ग्रहण के दिन स्नान या दान आदि का भी बड़ा महत्व होता है। भगवान वेदव्यास ने भी ग्रहण के बारे में कहा है कि सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया  पुण्यकर्म एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में 10 लाख गुना फलदायी होता है। पंडित जी का कहना है कि यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।