गुरुग्राम। हरियाली तीज का पर्व आज रविवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। सामाजिक संगठनों ने आयोजन की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। बाजार में भी महिलाएं आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी में जुटी हुई हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित राजनाथ शास्त्री , पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। हरियाली तीज हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र मिलन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में सुख-शांति, प्रेम और पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की भक्ति के साथ पूजा करती हैं।
बन रहा है रवि योग
ज्योतिषाचार्य पंडित राजनाथ शास्त्री का कहना है कि इस वर्ष हरियाली तीज और भी खास है क्योंकि इस दिन रवि योग बन रहा है, जो व्रत के प्रभाव को और अधिक शुभ बनाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज सावन महीने की शुक्ल तृतीया तिथि को पड़ती है, जो शनिवार की रात्रि 10 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 27 जुलाई, रविवार रात्रि 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। लेकिन उदय तिथि के आधार पर यह तीज 27 जुलाई रविवार को मनाई जाएगी। जो महिलाएं पहली बार व्रत रख रही हैं, उन्हें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे कि व्रत का सही समय, भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा, सच्चे मन से भक्ति करना और व्रत के नियमों का पालन करना। इससे व्रत सफल होगा और आपके दांपत्य जीवन में सुख – शांति और प्रेम की वृद्धि होगी।
माता पार्वती के श्रृंगार का सामान
उनका कहना है कि हरियाली तीज की पूजा करते समय मां पार्वती को कुछ खास वस्तुएं जरूर चढ़ाएं। पूजा के लिए श्रृंगार का सामान जैसे हरे रंग की साड़ी या हरी – लाल चुनरी रखें । इसके अलावा सिंदूर, कंघी, बिछुआ, बिंदी, चूडय़िां, खोल, कुमकुम, मेहंदी, दर्पण और इत्र जैसी चीजें भी मां पार्वती को अर्पित करना जरूरी होता है । ये सभी चीजें मां पार्वती के श्रृंगार और सम्मान के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
विधि-विधान से करें पूजा-अर्चना
उनका कहना है कि दैनिक कार्यों से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल पर गोबर का लेप कर गंगाजल का छिडक़ाव करें। घी का दीपक जलाएं। महिला श्रद्धालु 16 श्रृंगार कर पूजा करें। माता की चौकी सजाएं और उस पर मिट्टी या बालू से बनी शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें और गंगाजल या पंचामृत से अभिषेक करें। मां पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करेंं। हरियाली तीज की व्रत कथा श्रद्धा से पढ़ें । अगले दिन प्रतिमा और पूजन सामग्री को बहते जल में विसर्जित कर दें।
हरियाली तीज नियम
हरियाली तीज का व्रत मुख्य रूप से निर्जला रखा जाता है। यदि निर्जला व्रत करना संभव न हो, तो फलाहार व्रत का संकल्प भी लिया जा सकता है। इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व है, जो हरियाली और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। व्रत के दौरान पूरे दिन शांति और भक्ति बनाए रखें और मां पार्वती की पूजा विधिपूर्वक करें। व्रत में अनुशासन का पालन करें और किसी भी प्रकार का गलत आचरण या विवाद से बचें।
हरियाली तीज का धार्मिक महत्व
हरियाली तीज का धार्मिक महत्व बहुत गहरा और विशेष है। इसे अखंड सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में सुख – शांति और खुशहाली के लिए रखा जाता है। खासकर सुहागिन महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं ताकि उनके पति की लंबी उम्र और परिवार में प्रेम बना रहे। यह पर्व न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।