गुरुग्राम। आजादी के अमृत महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले शहीदों, क्रांतिकारियों व स्वतंत्रता सेनानियों को राष्ट्र याद कर रहा है। महान समाजसुधारक व स्वतंत्रता सेनानी गोपाल गणेश आगरकर की जयंती पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उनका जन्म 14 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के तेम्मू नामक स्थान पर हुआ था। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के गोपाल गणेश सहपाठी भी रहे थे। उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त कर पुणे स्थित फग्र्युशन कॉलेज में प्रधानाध्यापक के रुप में कार्य किया था। छात्र जीवन से ही उनमें देश और समाज के लिए कुछ करने का बड़ा जज्बा रहा था। शिक्षा प्रसार में भी उनका बड़ा योगदान रहा था। उन्होंने शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए न्यू इंग्लिश स्कूल की स्थापना की थी। उन्होंने कई समाचार पत्रों का संपादन भी किया। वक्ताओं ने कहा कि गोपाल गणेश ने कई समाजसुधार के कार्य भी किए। उन्होंने जहां छुआछूत और जातिप्रथा का खुलकर विरोध किया, वहीं वह विधवा विवाह के पक्षपाती थे। उन्होंने विधवा विवाह का समर्थन करते हुए महिला सशक्तिकरण के लिए बड़ा कार्य किया था। उन्होंने तत्कालीन अंग्रेजी सरकार की फूट डालो राज करो नीति का विरोध भी किया था। आर्थिक उन्नति के लिए वह देश का औद्योगिकरण आवश्यक मानते थे। वक्ताओं ने कहा कि समाजसुधार के कार्यों में विशेष योगदान देने वाले गोपाल गणेश आगरकर का 17 जून 1895 को 43 वर्ष की अल्पायु में निधन हो गया था। उन्होंने कहा कि देशवासियों को गोपाल गणेश आगरकर के आदर्शों पर चलकर देश सेवा करनी चाहिए, यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।