गुडग़ांव, : सनातन धर्म में चातुर्मास का बड़ा महत्व है, जो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से शुरू होकर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक चलता है। यानि कि चातुर्मास आगामी 6 जुलाई से शुरू होकर एक नवंबर तक रहेगा। इन 4 माह में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे और मांगलिक कार्य शादी-विवाह, मुंडन आदि कार्य वर्जित रहेंगे। 4 माह के दौरान साधना व उपासना का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य पंडित डा. मनोज शर्मा का कहना है कि आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन उपवास कर मनुष्य भक्तिपूर्वक चातुर्मास्य व्रत प्रारंभ करें। एक हजार अश्वमेघ यज्ञ कर मनुष्य जिस फल को पाता है, वही चातुर्मास्य व्रत के अनुष्ठान से प्राप्त कर लेता है। 4 महीनों में ब्रह्मचर्य का पालन, त्याग, पत्तल पर भोजन, उपवास, मौन, जप, ध्यान, स्नान, दान, पुण्य आदि विशेष लाभप्रद होते हैं।ब्रह्मचर्य पालन है सर्वोत्तम व्रतउनका कहना है कि व्रतों में सबसे उत्तम व्रत है – ब्रह्मचर्य का पालन। ब्रह्मचर्य तपस्या का सार है और महान फल देने वाला है। ब्रह्मचर्य से बढक़र धर्म का उत्तम साधन दूसरा नहीं है। चतुर्मास में यह व्रत संसार में अधिक गुणकारक है।व्यक्ति को अक्षय रुप में प्राप्त होती हैं त्यागी हुई वस्तुएंडा. मनोज शर्मा का कहना है कि मनुष्य सदा प्रिय वस्तु की इच्छा करता है। जो चतुर्मास में अपने प्रिय भोगों का श्रद्धा एवं प्रयत्नपूर्वक त्याग करता है, उसकी त्यागी हुई वस्तुएँ उसे अक्षय रूप में प्राप्त होती हैं। चतुर्मास में गुड़ का त्याग करने से मनुष्य को मधुरता की प्राप्ति होती है। ताम्बूल का त्याग करने से मनुष्य भोग-सामग्री से सम्पन्न होता है और उसका कंठ सुरीला होता है। दही छोडऩे वाले मनुष्य को गोलोक मिलता है। नमक छोडऩे वाले के सभी पूर्तकर्म सफल होते हैं। जो मौनव्रत धारण करता है उसकी आज्ञा का कोई उल्लंघन नहीं करता। चतुर्मास में काले एवं नीले रंग के वस्त्र त्याग देने चाहिए। नीले वस्त्र को देखने से जो दोष लगता है उसकी शुद्धि भगवान सूर्यनारायण के दर्शन से होती है। कुसुम्भ (लाल) रंग व केसर का भी त्याग कर देना चाहिए।कार्तिक की पूर्णिमा तक करें भूमि पर शयनउनका कहना है कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीहरि के योगनिद्रा में प्रवृत्त हो जाने पर मनुष्य चार मास अर्थात् – कार्तिक की पूर्णिमा तक भूमि पर शयन करें । ऐसा करने वाला मनुष्य बहुत से धन से युक्त होता और विमान प्राप्त करता है, बिना माँगे स्वत: प्राप्त हुए अन्न का भोजन करने से बावली और कुआँ बनवाने का फल प्राप्त होता है । जो भगवान जनार्दन के शयन करने पर शहद का सेवन करता है, उसे महान पाप लगता है । चतुर्मास में अनार, नींबू, नारियल तथा मिर्च, उड़द और चने का भी त्याग करें। जो प्राणियों की हिंसा त्याग कर द्रोह छोड़ देता है, वह भी पूर्वोक्त पुण्य का भागी होता है।परनिंदा का करें त्यागउनका कहना है कि चातुर्मास्य में परनिंदा का विशेष रूप से त्याग करें। परनिंदा को सुनने वाला भी पापी होता है। परनिंदा महान पाप है, परनिंदा महान भय है, परनिंदा महान दु:ख है और पर निंदा से बढक़र दूसरा कोई पातक नहीं है।
6 जुलाई से शुरु हो जाएगा चातुर्मास, रहेगा एक नवम्बर तकसनातन धर्म हैं चातुर्मास का बड़ा महत्व : पंडित मनोज शर्मा
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