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कहीं भरत-मिलाप तो कहीं शूर्पनखा की नाक काटने तो कहीं सीता हरण की लीला का हुआ मंचन

गुडग़ांव : रामलीलाओं में कहीं श्रीराम वनवास तो कहीं भरत-मिलाप, कहीं राम-केवट तो कहीं शूर्पणखा की नाक काटने तो कहीं सीता के हरण की लीलाओं का मंचन कलाकारों द्वारा किया जा रहा है। इन लीलाओं का देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक भी पहुंच रहे हैं। जिनमें महिलाओं की संख्या भी अच्छी खासी दिखाई दे रही है।

जैकबपुरा की श्री दुर्गा रामलीला कमेटी के कलाकारों ने शूर्पणखा प्रसंग का का बखूवी वर्णन किया। शूर्पणखा अपनी कटी नाक के साथ रावण के दरबार में पहुंचती है और कहती है कि राजा दशरथ के पुत्र लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी है, उसके साथ एक सुंदर स्त्री है, ऐसी सुंदर स्त्री उसने आज तक नहीं देखी।अपनी बहन की कटी नाक का बदला लेने के लिए रावण खर-दूषण को भी भेजता है। उनको लक्ष्मण मार देता है। मंच पर रावण का दरबार भी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। राम-सीता को भी वनों में दिखाया गया।  रावण-मारीच संवाद का भी मंचन कलाकारों ने किया। मारीच ने रावण से कहा कि महाराज  सती, संत, गुरु, ब्राह्मण, खास पड़ौसी, वैद्य, हकीम और आपका दास। इन सब से इंसान को कभी बैर नहीं रखना चाहिए। जो इनसे बैर बढ़ाता है, वो आखिर मारा जाता है। कूदकर अग्नि में फिर बचने का कोई बहाना ही नहीं, राम के बैरी को इस दुनिया में ठिकाना ही नहीं। लेकिन रावण की समझ में यह सब नहीं आता। सीता हरण के दृश्य ने भी दर्शकों की उत्सुकता को बनाए रखा। मजबूर होकर सीता लक्ष्मण रेखा पार कर गई और फिर रावण से उनका हरण कर लिया। शबरी के झूठे बेर खाने तक की लीला का मंचन किया गया।