गुरुग्राम। देश को स्वतंत्र कराने में क्रांतिकारियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद सरीखे क्रांतिकारियों के कारण ही देश आजाद हो सका है। शहीद भगत सिंह की जयंती पर वीरवार को विभिन्न संस्थाओं द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया।
सामाजिक संस्था डा. राजेंद्र प्रसाद फाउण्डेशन के अध्यक्ष राजेश पटेल द्वारा राजेंद्रा पार्क क्षेत्र स्थित एक निजी स्कूल परिसर में शहीद भगत सिंह को याद करते हुए उनके चित्र पर छात्र-छात्राओं के साथ श्रद्धासुमन भी अर्पित किए गए। उन्होंने कहा कि भगत सिंह महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रांतिकारी थे। उन्होंने अभूतपूर्व साहस के साथ ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया था। दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट कर ब्रिटिश साम्राज्य को खुले विद्रोह की चुनौती दे दी थी। उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। अंगे्रजी सरकार ने सरदार भगत सिंह व उनके दोनों साथियों राजगुरु एवं सुखदेव को 23 मार्च 1931 को फांसी पर लटका दिया था। उन्होंने कहा कि भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 को सिख परिवार में हुआ था। जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह को झकझोर कर रख दिया था। कॉलेज की पढ़ाई छोडक़र उन्होंने देश की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा का गठन भी किया था। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर जलियांवाला बाग को अंजाम देने वाले अंग्रेज अधिकारी सांडर्स को मार डाला था।
पटेल ने कहा कि सरदार भगत सिंह ने अपने लोखों के माध्यम से भी देश के युवाओं को आजादी में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था। जेल यात्रा के दौरान उनके लिखे पत्रों व लेखों से उनके क्रांतिकारी विचारों का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्हें हिंदी, उर्दू, पंजाबी तथा अंग्रेजी के अलावा बांगला का भी अच्छा ज्ञान था। उन्होंने अंग्रेजी सरकार से माफीनामा लिखने से साफ मना कर दिया था। उन्होंने चंद्रशेखर आजाद से मोमबत्ती पर हाथ रखकर कसम खाई थी कि उनकी जिंदगी देश पर ही कुर्बान होगी और उन्होंने उस कसम को पूरी कर दिखाया भी। कार्यक्रम में नगर निगम के पूर्व पार्षद योगेंद्र सारवान, बृजपाल शर्मा व स्कूल की शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं, अभिभावक तथा क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति शामिल रहे।