ऐसे यज्ञ से ही मिलती है श्रद्धालुओं को आद्यात्मिक ऊर्जा : नरसिंहानंद सरस्वती
गुडग़ांव, : श्रीपंचदशनाम जूना अखाडे के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज सनातन धर्म के अनुयायियों को एकसूत्र में बांधने के लिए भरसक प्रयास करने में जुटे हैं। मां बंगलामुखी और महादेव के महायज्ञ का भी आयोजन देश के विभिन्न प्रदेशों में किया जा रहा है। इसी क्रम में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित चामुंडा तीर्थ में मां बंगलामुखी व महादेव महायज्ञ का आयोजन किया गया, जिसका सोमवार को पूर्णाहूति के साथ समापन हो गया।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने मां बंगलामुखी की शक्तियों के विषय में बताया कि श्रद्धालुओं के लिए मां बंगलामुखी व महादेव का महायज्ञ कल्प वृक्ष के समान है जो उनकी सभी सात्विक मनोकामनाओ की पूर्ति करने में सक्षम है। सनातन धर्म मे माँ बगलामुखी को श्री, विजय और सद्बुद्धि की देवी माना जाता है। महादेव के साथ इनकी साधना से मनुष्य अपने हर तरह के शत्रुओं को पराजित करने योग्य बनता है और सद्बुद्धि, ऐश्वर्य,शक्ति और दीर्घायु सहित विजय को प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीपरशुराम इस पृथ्वी पर पहले साधक थे जिन्होंने माँ बगलामुखी और महादेव की साधना करके अलौकिक शक्तियां प्राप्त की।भगवान परशुराम ने माँ बगलामुखी साधना का रहस्य भगवान श्रीराम,योगेश्वर श्रीकृष्ण सहित अपने पितामह भीष्म, आचार्य द्रोण व दानवीर कर्ण जैसे महान योद्धाओं को बताया था।
दशानन रावण, इंद्रजीत, मेघनाथ व कुंभकर्ण भी मां बगलामुखी और महादेव के ही उपासक थे। सतयुग से लेकर कलयुग तक सभी सनातन धर्म के प्रमुख योद्धाओ ने मां बगलामुखी और महादेव की साधना और भक्ति से ही स्वयम को महान बनाया है। उन्होंने सनातनियों से आग्रह किया कि सनातन धर्म जिस तरह के संकट का सामना कर रहा है, उस संकट को आध्यात्मिक ऊर्जा के बिना समाप्त नहीं किया जा सकेगा और यह ऊर्जा मां बगलामुखी और महादेव की साधना से ही मिल सकती है। समापन अवसर पर साधु-संत यति सत्यदेवानंद, बालयोगी ज्ञाननाथ महाराज, यति रणसिंहानंद, सनोज शास्त्री, विनोद सर्वोदय आदि शामिल रहे।