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पितृ पक्ष का शुभारंभ 29 से, पितृों को तर्पण व उनको याद करने के लिए किया जाता है श्राद्ध

आश्विन मास की अमावस्या तक श्राद्ध कर्म करने का है विधान : पंडित डा. मनोज शर्मा

गुडग़ांव : भाद्र पक्ष की पूर्णिमा के साथ ही पितृों को तर्पण करने व उनको याद करने के लिए श्राद्ध आगामी 29 सितम्बर से शुरु हो रहे हैं, जो 14 अक्तूबर तक चलेंगे। अधिकांश लोग पितृों को याद करने के लिए अपने घरों में ही पितृों का श्राद्ध करते हैं और अपनी सामथ्र्यनुसार ब्राह्मणों को भोजन करा उन्हें दक्षिणा भी देते हैं। पंडित डा. मनोज शर्मा का कहना है कि हिंदू धर्म में वैदिक परंपरा के अनुसार अनेक रीति-रिवाज, व्रत-त्यौहार व परंपराएं मौजूद हैं। हिंदूओं में जातक के गर्भधारण से लेकर मृत्योपरांत तक अनेक प्रकार के संस्कार किए जाते हैं। अंत्येष्टि को अंतिम संस्कार माना जाता है, लेकिन अंत्येष्टि के पश्चात भी कुछ ऐसे कर्म होते हैं जिन्हें मृतक के संबंधी विशेषकर संतान को करना होता है। श्राद्ध कर्म उन्हीं में से एक है। वैसे तो प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि को श्राद्ध कर्म किया जा सकता है लेकिन भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक पूरा पखवाड़ा श्राद्ध कर्म करने का विधान है। इसलिए अपने पूर्वजों को के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के इस पर्व को श्राद्ध कहा जाता है।

क्या है पितृ पक्ष का महत्व

धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि देवपूजा से पहले जातक को अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। पितरों के प्रसन्न होने पर देवता भी प्रसन्न होते हैं। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में जीवित रहते हुए घर के बड़े बुजूर्गों का सम्मान और मृत्योपरांत श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इसके पीछे यह मान्यता भी है कि यदि विधिनुसार पितरों का तर्पण न किया जाए तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती और उनकी आत्मा मृत्यु लोक में भटकती रहती है।

किस दिन करें पूर्वजों का श्राद्ध

वैसे तो प्रत्येक मास की अमावस्या को पितरों की शांति के लिए पिंड दान या श्राद्ध कर्म किए जा सकते हैं लेकिन पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का महत्व अधिक माना जाता है। पंडित जी का कहना है कि पितृ पक्ष में किस दिन पूर्वजों का श्राद्ध करें इसके लिए शास्त्र सम्मत विचार यह है कि जिस पूर्वज, पितर या परिवार के मृत सदस्य के परलोक गमन की तिथि याद हो तो पितृपक्ष में पडऩे वाली उक्त तिथि को ही उनका श्राद्ध करना चाहिए। यदि देहावसान की तिथि ज्ञात न हो तो आश्विन अमावस्या को श्राद्ध किया जा सकता है। इसीलिए इसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है।