गुरुग्राम। भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भी इस बार 2 दिन यानि कि 6 व 7 सितम्बर को शहर के विभिन्न मंदिरों में धूमधाम से मनाया जाएगा। मंदिरों में धार्मिक आयोजनों की सभी तैयारियां शुरु कर दी गई हैं। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र स्थित मंदिरों को सजाया जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस बार जन्माष्टमी पर रवि व सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से जहां वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है, वहीं संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। जन्माष्टमी को लेकर बाजार भी सजने शुरु हो गए हैं।
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात में हुआ था। इस बार अष्टमी तिथि 6 दिसम्बर को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से शुरु होकर 7 सितम्बर को सायं 4 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। उनका कहना है कि इसके साथ ही रोहिणी नक्षत्र 6 सितम्बर की प्रात: 9 बजकर 20 मिनट से शुरु होकर 7 सितम्बर की प्रात: 10 बजकर 25 मिनट रहेगा। इसलिए जन्माष्टमी इस बार 6 सितम्बर की रात्रि को मनाई जाएगी। क्योंकि रोहिणी नक्षत्र व रात्रि पूजन का यह शुभ मुहूर्त रहेगा। श्रीकृष्ण पूजा का समय 6 सितम्बर की रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 7 सितम्बर की प्रात: 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जन्माष्टमी पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा। इस्कॉन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर 6 व 7 सितम्बर को कार्यक्रम आयोजित करेगा। सैक्टर 4 स्थित श्रीकृष्ण मंदिर में बड़े स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन होगा और जैकबपुरा रामलीला ग्राउण्ड में भजन संध्या का आयोजन भी किया जाएगा।
शहर के पटेल नगर स्थित श्री बांकेबिहारी मंदिर, सिद्धेश्वर, घंटेश्वर, भूतेश्वर, हनुमान मंदिर, अर्जुन नगर के शिव मंदिर, श्रीकृष्ण मंदिर, प्रताप नगर के श्रीराम मंदिर, गुफावाला मंदिर, सैक्टर 4 के श्रीकृष्ण मंदिर, श्रीराम मंदिर, सूर्य विहार के माता वैष्णो मंदिर, माता चिंतपूर्णी मंदिर, गीता भवन, बाबा प्रकाशपुरी आश्रम, सुदर्शन मंदिर, प्रेम मंदिर व सैक्टर 9 के गौरीशंकर मंदिर आदि में जन्माष्टमी के लिए तैयारियां शुरु कर दी गई हैं। धार्मिक संस्था ब्रह्मा कुमारीज भी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाती आ रही हैं। कृष्ण जन्मोत्सव पर भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को झांकियों के माध्यम से प्रदर्शित करने के लिए संस्थाएं जी जान से जुटी हुई हैं। मंदिरों व शिवालयों में जन्माष्टमी पर्व पर भजन कीर्तन का आयोजन भी किया जाएगा। मंदिरों को लाईटों से भी सजाया जा रहा है।