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फिक्की ने न्यू एज रिस्क विषय पर किया सेमीनार का आयोजन


गुडग़ांव। उद्यमियों का प्रतिनिधित्व करने वाली फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा न्यू एज रिस्क विषय पर सेमीनार का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। सेमीनार में पारंपरिक जोखिम मापदंडों और उभरते जोखिमों की प्रवृत्ति पर चर्चा की गई। फिक्की और पिंकर्टन द्वारा इंडिया रिस्क सर्वे 2022 रिपोर्ट लॉन्च की गई। केंद्रीय गृहमंत्रालय के एनआईडीएम के कार्यकारी निदेशक राजेंद्र रत्नू का कहना है कि विकास प्रक्रिया में बाधा डालने वाले जोखिमो की पहचान करने और उन्हें कम करने की आवश्यकता है। हम अक्सर व्यवहारिक जोखिम को याद करते हैं और जोखिम प्रबंधन में यह महत्वपूर्ण कुंजी है क्योंकि यदि आपके पास एक अच्छा कार्यबल है तो अन्य कारक ही कार्य में आएंगे।

फिक्की अमृतकाल के लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान दे रही है। पूर्व विशेष आयुक्त दीपचंद ने कहा कि ऑनलाइन बाजारों ने नकली उत्पादों के जोखिम को कई गुना बढ़ा दिया है। इन दिनों ऑनलाइन लेन-देन में वृद्धि के साथ, नकली उत्पादों का जोखिम भी कई गुना बढ़ गया है। इसके बारे में जागरूक होना और इससे निपटने के लिए तैयार रहना इस रिपोर्ट की जरूरत को पूरा करता है। मंजरी जारुहार ने कहा कि पारम्परिक जोखिम कम नहीं हो रहे हैं, लेकिन नए जमाने के जोखिम हमें घेर रहे हैं। जब वे एक साथ आते हैं, तो वे निपटने के लिए उच्च जोखिम की स्थिति पैदा करते हैं। साइबर खतरों को समझने और इसे कम करने के लिए बहुत कुछ किया गया है और बहुत कुछ किया जाना है। आयोजन को फिक्की के महानिदेशक अरुण चावला, रोहित कर्नाटक आदि ने कहा कि व्यवसायों को एक प्रभावी सुरक्षा प्रणाली बनाने और अपने आईटी सिस्टम को हैकटीविस्ट से बचाने के लिए विभिन्न सुरक्षा जोखिमों का आकलन करने और साइबर हमलों के प्रभावों का निर्धारण करने की आवश्यकता है।

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