गुडग़ांव। देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए कई सुरक्षा बलों का गठन किया गया है, ताकि विभिन्न प्रदेशों के पुलिस विभाग के साथ मिलकर शांति व्यवस्था बनाए रखने में ये सुरक्षा बल अपना योगदान भी दे सकें। केंद्रीय रिजर्ब पुलिस बल (सीआरपीएफ) भी देश का प्रमुख सुरक्षा बल है। प्रतिवर्ष 9 अप्रैल को सीआरपीएफ उन वीर सिपाहियों के लिए जिन्होंने सुरक्षा बल में अपने अदम्य साहस का परिचय दिया, उसे ध्यान में रखते हुए शौर्य दिवस मनाया जाता है। 9 अप्रैल 1965 के दिन ही भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान गुजरात की कच्छ की खाड़ी में सीआरपीएफ की एक छोटी टुकड़ी ने इतिहास रचते हुए 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और उनके हमले को सफलता पूर्वक नाकाम कर दिया। तभी से हर साल 9 अप्रैल को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसें वीरता पुरस्कार बांटे जाते हैं।
शौर्य दिवस पर सीआरपीएफ के जवानों के बलिदान को याद करते हुए सीआरपीएफ के सेवानिवृत अधिकारी आरपीएस चौहान ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल के गठन के बाद सीआरपीएफ को भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कानून और व्यवस्था बनाए रखने और आतंकी गतिविधियां रोकने के लिए सशस्त्र बल के रूप में काम करने की जिम्मेदारी मिली है जिसे उसने बखूबी से अंजाम दिया है। अब यह बल भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है। उन्होंने अप्रैल 1965 की घटना को याद करते हुए कहा कि पाकिस्तान की सेनाओं ने कच्छ की खाड़ी में अचानक हमला बोल दिया था। जवानों को इसका कोई अंदेशा भी नहीं था। इसमें सीआरपीएफ के जवानों की पाकिस्तानी सैनिकों से सीधी लड़ाई लड़ी थी और सीआरपीएफ ने जीत हासिल की थी। हालांकि सीआरपीएफ के 6 जवान शहीद हो गए थे। यह लड़ाई केवल 12 घंटे चली और पाकिस्तान सेना अपने सैनिकों के शवों को छोडक़र भाग खडी हुई थे। उनका कहना है कि सीआरपीएफ को देश की देश की आंतरिक हिस्सों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वर्ष 2001 में संसद पर हमला करने वाले सभी आतंकियों को सीआरपीएफ ने ही मारा था। इसी प्रकार जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों व नक्सलवाद के खिलाफ भी सीआरपीएफ के जवान अपने कर्तव्य का पालन करते हुए उन्हें मुंहतोड़ जबाव देते आ रहे हैं। सीआरपीएफ की कई टुकडिय़ां संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के तहत मालदीव, सोमालिया, हैती, नाङ्क्षबया आदि में भी शांति स्थापित करने के लिए जा चुकी है। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि सुरक्षा बल के अधिकारियों व कर्मियों का सदैव सम्मान किया जाना चाहिए।
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